________________
परस्त्री - आसक्ति से सर्वनाश : १८७
वाममार्गी - शाक्त सम्प्रदाय में तो तंत्र ग्रन्थों में पंच मकार (मद्य, मीन, मांस, मुद्रा और मैथुन) के सेवन का उल्लेख है । साथ ही मातृयोनि को छोड़कर सभी स्त्रियों के साथ मैथुन - सेवन का उल्लेख तो सरासर परस्त्रीगमन का निर्देश करता है । तांत्रिक लोगों (वामपंथियों) की भैरवचक्र में प्रवेश करके सामूहिक मद्यपान एवं तत्पश्चात् मतवाले होकर सामूहिक व्यभिचार की जो रीति है, वह बड़ी विचित्र है । उससे तो ऐसा लगता है, मानो सारे जगत् का स्वच्छन्द व्यभिचार यहाँ आ गया है ।
और ऐसे ही नानाप्रकार के धार्मिक अन्धविश्वास परस्त्रीसेवन का खुल्लमखुल्ला समर्थन करते हैं ।
चीजों - शराब, भाँग,
मादकता तथा आवेश - गम्य - अगम्य का विचार
१२. मादक वस्तुओं का सेवन- नशीली एवं मादक गाँजा, अफीम आदि के सेवन से मनुष्य में कामोत्तेजना और ग्रस्तता हो जाती है जिसके कारण मनुष्य नशे में चूर होकर किये बिना चाहे जिस स्त्री के संगम कर बैठता है । उस समय नशे में स्वस्त्री - परस्त्री की, बहन-बेटी की कोई सुध नहीं रहती । नशे में चूर एवं मतवाले बात की कोई चिन्ता नहीं होती कि मैं कहाँ, किस स्त्री के पास क्या हूँ ? वह अंधाधुन्ध काम - प्रवृत्ति करता है । अतः मादक द्रव्यों का सेवन के पाप के लिए बहुत कुछ जिम्मेदार है ।
१३. बालविवाह, वृद्धविवाह, अनमेल विवाह - ये तीनों विवाह भी अनैतिक और आगे चलकर परस्त्रीगमन या परपुरुषगमन के पाप में नर-नारी को प्रवृत्त करने वाले हैं । बालविवाह की भयंकर प्रथा के कारण असमय में अपरिपक्व अध-खिले कोमल बच्चों का विवाह कर दिया जाता है । वे दाम्पत्य जीवन के विषय
मानव को इस
करने जा रहा सेवन भी परस्त्री
जब
में
में कुछ नहीं समझते । दोनों ही अवयस्क होते हैं । तब तक बिगड़ चुके होते हैं । अज्ञानवश वे फिर चाहे जिस स्वच्छन्द रूप से रमण करते हैं अथवा लड़का कच्ची उम्र कारण, नासमझी से बार-बार स्त्री-संगम करने से नामर्द अथवा अकाल में ही काल कावलित हो जाता है, ऐसी स्थिति में उसकी पत्नी यौवनावस्था में कामवासना के वेग को सहन न कर सकने के कारण गुप्तरूप से परपुरुष के साथ व्यभिचार करती है ।
या नपुंसक हो जाता है,
Jain Education International
तक वे वयस्क होते हैं,
स्त्री या
पुरुष के साथ
वीर्य नष्ट हो जाने के
कई पुरुष नामर्द हो जाने से अपनी स्त्री की कामपिपासा शान्त न कर सकने के कारण किसी सशक्त युवक को अपनी स्त्री से संगम करने की अनुमति दे देते हैं। इसी प्रकार का दुष्परिणाम वृद्धविवाह के कारण होता है । बूढ़े पति के असमय में मर जाने के कारण बेचारी विधवा निराधार हो जाती है, समाज में और परिवार में उसका अपमान होता है । पड़ोसी तथा अन्य व्यभिचारी लोग उस पर आँख गड़ाए
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org