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________________ हिंसा में आसक्ति से धर्मनाश : १५७ बैठा । १८ वर्ष की उम्र में विवाह कर लिया । एक पुत्र हुआ । ८ को दत्तक लिया । 'पीपल्स टेम्पल' चर्च की स्थापना की। केलिफोर्निया के रेडवुड जंगल में जाकर आश्रम की स्थापना की । एक लाख डॉलर बैंक में जमा किये। फिर तो चारों ओर उसकी प्रशंसा होने लगी। अमेरिका और रूस के राजनेता एवं उच्चाधिकारी उससे मिलने लगे । इससे पीपल्स टेम्पल के अनुयायी बढ़ते जाते थे। अतः १९७४ में जोन्स ने दक्षिण अमेरिका में गुयाना के जंगल में 'पीपल्स टेम्पल' नामक आश्रम की स्थापना की। 'जोन्स' पहले तो स्वयं को ईसा का अवतार बताता था, फिर वह स्वयं का भगवान् के रूप में परिचय देता था। लोगों के शरीर से केन्सर जैसे असाध्य रोगों को मिटा देने का वह दावा करता । उसके चित्रावली माला पहनने से रोग मिटता है, यों कहकर वह अपना छोटा चित्र बाँटता था । भक्तों से उनकी बचत ही नहीं, उनकी समस्त मिल्कियत भी ले लेता था। इसीप्रकार उसने डेढ़ करोड़ डॉलर इकट्ठ कर लिये थे। जो उसकी आज्ञा न मानता या अश्रद्धा रखता, उन पर क्रूर अत्याचार भी करता था । जोन्स की राक्षसी लीला के समाचार केलिफोर्निया आदि नगरों में पहुँचते थे। उसके आश्रम के एक अधिकारी ने अमेरिका आकर कहा 'जोन्स ६५ हजार डॉलर प्रतिमास इकट्ठे कर रहा है। सामूहिक हत्या कैसे की जाए ? इसकी वह कवायद भी कराता है । अनुयायियों को कैद में रखता है, उन पर शारीरिक, मानसिक जुल्म भी करता है। बालकों को नजरबन्द रखकर उनके माँ बाप से धन निकलवाता है।" अमेरिका के संसद सदस्य 'लियो रायन' को गुयाना की राजधानी जार्जटाउन से १५० मील दूर घने जंगल में बसे हुए जोन्स टाउन स्थित आश्रम की प्रवृत्ति देखने की इच्छा हुई तार दिया। पर कोई जबाव नहीं। उसके वकील ने धमकी भरा उत्तर दिया। किन्तु रायन साहस करके दलबल सहित आश्रम आये । नाटकीय ढंग से स्वागत हुआ। जो भी आश्रमवासी आश्रम छोड़कर जाना चाहता, वह सशंक होकर या तो उसे मरवा डालता या हैरान करता। रायन आश्रम देखकर ज्यों ही गुयाना एयरपोर्ट पर पहुँचे, अपने दल सहित गोलियों से बांध दिये गए । हा-हाकार मच गया । जोन्स को डर था कि गुयाना का पुलिस दल आ पहुँचेगा और बुरी मौत मारे जायेंगे, इसलिए उसने सभी आश्रमवासियों को स्वाभिमानपूर्वक मर जाना चाहिए, ऐसी प्रेरणा दी । आश्रम के युवक डॉक्टर ने 'जोन्स' के आदेश से स्ट्रॉबेरी की सुगन्ध वाला विषमिश्रित स्वादिष्ट पेय तैयार किया। एक बहुत बड़े टब में भर कर मैदान के किनारे रखा गया। बालकों को जबरन माताओं की छाती पर से खींच कर सर्वप्रथम उनके मुह में वह पेय डाला गया। कहीं कोई भाग न जाए, इसके लिए पहरा बढ़ा दिया गया था। लगभग ६०० आश्रमवासियों को वह विषमिश्रित पेय पिलाया गया। लगभग ८०० लोगों के पासपोर्ट उसने जब्त कर रखे थे, ताकि कोई भाग न जाए। अन्त में स्वयं ने भी हत्या कर ली। कितनो भयंकर सामूहिक हत्या थी यह ! हिप्नोटिक और मैग्नेटिक प्रभाव वाले धर्म-गुरु भगवान और पैगम्बर बन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004015
Book TitleAnand Pravachan Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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