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________________ १५६ : आनन्द प्रवचन : भाग १२ इसी तरह एक और क्रूर प्रथा थी प्राचीनकाल में नर-बलि की। देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए जीवित मनुष्य को मारकर बलि चढ़ा दिया जाता था। धर्मनिष्ठ गुरु गोविन्दसिंह से एक पण्डित ने कहा- "आप सिक्खों की शक्ति बढ़ाना चाहते हैं तो दुर्गादेवी का यज्ञ कराइये । यज्ञ से अग्नि प्रकट होगी, वह सिक्खों को शक्ति का वरदान देगी।" गुरु गोविन्दसिंह उसकी बात से सहमत हो गए, लेकिन कई दिन तक यज्ञ होते रहने पर भी जब देवी प्रकट नहीं हुई तो धूर्त पण्डित ने कहा-“देवी को प्रसन्न करने के लिए किसी पुरुष का बलिदान देना होगा। तभी वह प्रसन्न होकर दर्शन देगी और बलिदानी व्यक्ति को स्वर्ग मिलेगा।" गुरु गोविन्दसिंह ने उस धूर्त पण्डित को पकड़कर कहा-"बलि के लिये आपसे अच्छा आदमी कहाँ मिलेगा? आपका बलिदान पाकर देवी तो प्रसन्न होगी ही, आपको भी स्वर्ग मिल जायेगा।" यह व्यवहार देखकर पण्डित घबराकर क्षमा मांगने लगा। गुरुजी ने कहा- "देवी किसी के प्राण लेकर प्रसन्न नहीं होती, वह प्रसन्न होती है, अच्छे कार्यों से। इस प्रकार का अन्ध-विश्वास फैलाना ठीक नहीं ।" इस प्रकार समझाकर पण्डित को छोड़ दिया । इस प्रकार पशुबलि हो, चाहे नरबलि, देवी-देवों को नाम पर हो या पितरों के नाम पर हो या यज्ञादि के नाम पर ये सभी भयंकर हिंसाएँ हैं, जिनसे स्वर्ग यहीं, नरक ही मिलता है । यह हिंसा कभी धर्म नहीं हो सकती। धर्म के नाम पर होने वाली भयंकर हिंसाएँ। इसी प्रकार धर्म के नाम से, या धर्भ खतरे में हैं' ऐसे नारे लगाकर परस्पर दो धर्म-सम्प्रदायों का लड़ना-लड़ाना, और एक-दूसरे के प्राणों के ग्राहक बन जाना कभी धर्म नहीं हो सकता है। जेरूसलम में लगभग १०० वर्ष तक क्रूसेड (धर्मयुद्ध) चलता रहा, मुसलमानों और ईसाइयों के बीच में । इसी प्रकार भारत में भी आए दिन साम्प्रदायिक दंगे धर्म-मजहब को लेकर होते हैं, प्राचीन काल में भी जनों के साथ वैदिकों का, बौद्धों के साथ वंदिकों का घोर संघर्ष हुआ, जिसमें जनों, बौद्धों पर बहुत अत्याचार हुए। इन सब धर्म सम्प्रदाय के नाम पर होने वाली लड़ाइयों में हजारों आदमी मौत के घाट उतार दिये जाते थे। हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के विभाजन के समय, नोआखाली के दंगे के समय धर्म के नाम पर हजारों निर्दोष व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया गया। एक और विचित्र हिंसा है, धर्म के नाम पर ! शायद पहले यह विश्व में कहीं हुई हो तो पता नहीं। अभी-अभी कुछ वर्षों पहले एक शैतान ने की है। 'इंडिया ना पोलीश में सन् १९३१ में 'जीम वोरन जोन्स' नामक एक लड़का पैदा हुआ । बचपन से माँ लाइनेटा से उसे ऊटपटांग विचार मिले । १४ साल की उम्र में वह धर्मगुरु बन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004015
Book TitleAnand Pravachan Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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