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________________ हिंसा में आसक्ति से धर्मनाश : १५३ का एक साथ मौत के घाट इसलिये उतार दिया कि वे अपने देश को क्यों प्यार करते हैं, आक्रमणकारी नाजियों का साथ क्यों नहीं देते । कुछ ही वर्षों पहले बंगला देश में पाकिस्तानी बूचरों ने ३० लाख बंगालियों को गाजर-मूली की तरह काट दिया। दया और मानवता से अपरिचित इन नरपिशाच वधिकों को किन शब्दों से अलंकृत किया जाए ? इतिहास में पहले भी ऐसे क्रूर शासकों के द्वारा नर-संहार होते रहे हैं। चंगेजखाँ का बेटा हलाकूखाँ भी अपने बाप की तरह निर्दय था । उसने भी ईरान पर चढ़ाई करके उसकी ईट से ईट बजा दी। खलाफा को खत्म करके इस्लामियों का सफाया किया । खून से रंग दिया उस देश को। तैमूरलंग इतना निर्दय था कि उसने अपने शत्रओं के रक्त और हड्डियों का गारा बनाकर वितनी ही मीनारे चिनवाई। दिल्ली लूटी ही नहीं, लाशों से पाट दी उसने । कितने ही नगरों और गाँवों में उसने कत्लेआम करवाया। वह खड़ी फसलों और बस्तियों में आग लगाता हुआ आगे बढ़ता था। - बारहवीं सदी का मंगोल शासक चंगेजखाँ अपने लड़ाकू साथियों सहित जहाँ भी चढ़ाई करता, सर्वप्रथम कत्लेआम कराता। लूट के धन से उसे जितनी खुशी होती थी, उससे अधिक खुशी बिलखते, चीत्कार करते नर-नारियों के सिर उड़ाने और भाले भौंकने में आता । ४६ वर्ष की उम्र में वह चीन का शासक बन गया। अनेकों नगर-गाँव उजाड़े रूस का एक नगर लाशों से पाट दिया । रोम का शासक नीरो १४ वीं शताब्दी में ६ वर्ष तक शासनारूढ़ रहा । उसने अपनी माता की हत्या करवाई, पत्नी का सिर कटवा डाला, जिन अफसरों से अनबन' हुई, उन्हें देखते ही देखते मौत के घाट उतार दिया। सनक आई तो पूरा शहर ही जलवाकर खाक करा दिया, उस अग्निकाण्ड से हुई धन-जन की क्षति को मनोरंजन के रूप में ऊँची पहाड़ी पर बैठा देखता रहा, सर्वनाश के अवसर पर वह फिडल बजाता रहा। हिटलर का दायाँ हाथ मार्शल गोरिंग बड़ा कर था। इन दोनों ने मिलकर शत्रु पक्ष की सेना का जितना संहार किया था, उससे १० गुने अधिक स्वदेशवासी जर्मन नागरिक गाजर-मूली की तरह काटकर फक दिये । कारण बहुत ही नगण्य था । परन्तु क्रूरकर्मा अपनी अहंता की तृप्ति के लिए मृत्युदण्ड ही देता था। सामान्य मागरिकों को भी वह तड़पा-तड़पाकर मारता था। इतिहास में ऐसे अनेक शासक हुए हैं, निरीह मनुष्यों के हत्यारे रक्तशोषक ! इसी प्रकार कई लोग निर्दय प्रकृति के ही जन्मे, उन्हीं पैशाचिक प्रकृतियों में लिपटे रहे सारी जिन्दगी भर । 'बेनेडिक्ट कार्पजे' लिपजिग (जर्मनी) के सेशनकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश रहा । वह बहुत कठोर और क्रूर था। जुआ. उठाइगिरी, जादूटोना करने जैसे मामूली अपराधों में वह मृत्युदण्ड दे देता था, मानो उसने इससे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004015
Book TitleAnand Pravachan Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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