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________________ मद्य में आसक्ति से यश का नाश : १०५ कभी-कभी तो शराबी का दिमाग इतना बिगड़ जाता है वह हँसी का पात्र बन जाता है। । एक जगह कवि सम्मेलन का आयोजन था। मंच से सूचना प्रसारित की गई कि दूर स्थान से आमंत्रित एक प्रतिष्ठित कवि-महोदय यात्रा के कारण थके हुए हैं, अतः आराम करने के बाद कुछ देरी से आ सकेंगे । कवि महोदय ने शराब पी ली थी। आधी रात तक प्रतीक्षा करने के बाद उन्हें मंच पर लाया गया किन्तु दर्शकगण चकित थे कि आराम करने के बाद भी उनके पैर लड़खड़ा रहे हैं। अध्यक्ष द्वारा उस कवि की प्रशंसा के पुल बाँधे जाने व प्रार्थना किये जाने पर कविजी उठे तो सही, किन्तु माइक्रोफोन के डंडे को लाठी की तरह पकड़ने पर ही वे खड़े रह सके। फिर उन्होंने मंच के सामने बैठे हजारों श्रोतागणों की ओर तो पीठ कर ली और दूसरी ओर बैठे महिला श्रोताओं की ओर मुंह करके कविता पाठ करने लगे। पुरुष श्रोता चुप न रह सके, मुह-मुह पर आलोचना होने लगी। एक ने तो उन्हें बैठाते हुए कह दिया"किसे सुना रहे हो भाई ? ऐसे लोगों से आशा ही क्या की जा सकती है ? ऐसे दिमाग से तो कविता नहीं, शराब के बुलबुले ही बोलेंगे।" जैसे-तैसे कवि सम्मेलन समाप्त हुआ। शराबी कवि की कविता पर शराब का तीक्ष्णतम मुलम्मा चढ़ गया था। हाँ तो, मैं कह रहा था, शराब की सबसे पहली प्रक्रिया यह है कि वह सर्वप्रथम मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है । जैसे चुम्बक की ओर लोहा बरबस खिंचा चला आता है, वैसे ही शराब भी रक्त की शिराओं के माध्यम से मस्तिष्क की ओर एकदम खिंचती चली आती है । कुछ ही समय में शराब मस्तिष्क के कोमल व पेचीदा कोषों पर आघात करने लगती है। फिर भला ऐसे त्रस्त मस्तिष्क में बाहरी प्रभावों का उचित सामयिक संवेदनात्मक अंकन कैसे सम्भव हो सकता है ? फलतः न तो ज्ञानेन्द्रियों एवं ज्ञानतन्तुओं के मार्गों द्वारा बाहर से मस्तिष्क को सूचनाएँ प्राप्त हो सकती हैं और न ही ऐसा मस्तिष्क शरीर के विभिन्न अंगों को आदेश पहुंचा सकता है। ऐसे मस्तिष्क वाला आदमी शराब पीने के बाद तो न भली-भांति देख सकता है, न सूघ या स्वाद चख सकता . है और न किसी भी स्पर्श का अनुभव कर सकता है। क्योंकि उसके मस्तिष्क का नियंत्रण अस्थायी रूप से समाप्तप्राय होने लगता है। इस नियंत्रणहीनता के कारण शराबी के पैर लड़खड़ाने लगते हैं, जबान गड़बड़ाने लगती है, और कभी-कभी तो उसे लकवा तक मार जाता है। एब्रडीन शहर में एक व्यक्ति ने शराब पी । उससे उसकी हालत बिगड़ी और कुछ छंटों तक बहकी-बहकी बातें करने, मरे हुए लोगों को देखने और उनसे बातें करने, अकारण जोर-जोर से रोने-चिल्लाने के बाद उसकी मृत्यु हो गई। ___ डॉ. जेम्स किर्क ने उसका शव परीक्षण किया और सिरिंज द्वारा मस्तिष्कीय भाग से शराब खींचकर निकाली । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004015
Book TitleAnand Pravachan Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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