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________________ १०४ : आनन्द प्रवचन : भाग १२ नशा हो गया तो वह खिलखिलाकर हँसता था, निःसंकोच होकर बोलता था । अपनी उदारता के गुणगान कर रहा था । निष्कर्ष यह कि नशे की हालत में उसने हस्ताक्षर किये थे, जिसे नशा उतर जाने के बाद वह बिलकुल भूल गया था; क्योंकि नशे की हालत में स्मरण शक्ति को ह्रास हो जाता है । अमेरिका में किये गये एक अध्ययन से पता चला है कि मद्यपान के पश्चात् १५ प्रतिशत छात्रों तथा ५ प्रतिशत छात्राओं की स्मरण शक्ति जाती रहती है । कुछ लोगों की स्मरण शक्ति साधारण मद्यपान से भी लुप्त हो जाती है । उन्हें नशे की हालत में होने वाली घटनाओं एवं कार्यों का तनिक भी स्मरण नहीं रहता । मद्यपान : दिमागी गड़बड़ियों का कारण नित्य मद्यपान करने वाले शराबियों को दिमागी गड़बड़ियों के शिकार देखा गया है । बहुधा उन्हें हाल ही में बीती हुई घटनाएँ, उनका समय तथा स्थान याद नहीं रहते। उसकी स्मरण शक्ति पर आघात होता है, जिससे कुछ विचित्र लक्षण प्रकट होते हैं । हाल की घटनाएँ याद नहीं रहतीं, किन्तु बहुत पुरानी घटनाएँ ज्यों की त्यों याद रहती हैं । इस रोग के दौरान डॉक्टर व नर्स प्रतिदिन उससे मिलते हैं, लेकिन वह उन्हें पहचान नहीं पाता । यहाँ तक कि कई सप्ताह तक अस्पताल में रहने के बाद भी वह शौचालय से लौटने के बाद अपनी चारपाई भूल जाता है । उसकी स्मरण शक्ति गायब हो जाती है । बुद्धि का ह्रास भी मद्यपान का ही परिणाम है । उसका कारण है— मस्तिष्क की कोशिकाओं का नष्ट होना । इस रोग के फलस्वरूप मद्यपान करने वाले की बुद्धि सदा के लिए समाप्त भी हो सकती है । जीवन के अन्तिम दिन या तो वह किसी पागलखाने में बितायेगा या पेड़-पौधों की तरह नाममात्र के लिए ही जीवित रहेगा । उसकी मानसिक शक्ति समाप्त हो जाती है । आदतन शराबी अपनी पत्नी को सन्देह व ईर्ष्या की दृष्टि से देखता है । अपनी पत्नी की प्रत्येक बात में अपनी शंका का आधार ढूंढने का वह प्रयत्न करता है, तथा रेत का महल खड़ा कर लेता है । पत्नी के लाख कसम खाने व वफादारी प्रकट करने की वह उपेक्षा कर देता है और उसे समय-समय पर पीटता रहता है। अन्य लोगों के प्रति प्रायः वह क्रूर बन जाता है, क्रोध से काँपने लगता है । कुछ क्षणों बाद ही रोने और हँसने लगेगा। न तो वह अपने व्यवहार पर लज्जित होता है, न उसे इस बात की ग्लानि होती है कि उसके परिवार के लोग उसके कारण कितने दुःखी हैं । कई शराबी तो इतने अविश्वसनीय बन जाते हैं कि कोई उन पर विश्वास नहीं करता, वे झूठ बोलने लगते हैं, चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004015
Book TitleAnand Pravachan Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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