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मांस में आसक्ति से दया का नाश : ८६
कारी हैं ?" लोगों के तर्क रिचे के समक्ष कुण्ठित हो जाते, सत्य के आगे वे नतमस्तक हो जाते।
बालक रिचे जब भी मांस-प्राप्ति के लिए होने वाले प्राणि-उत्पीड़न पर विचार करता, उसकी आत्मा रो पड़ती । इस मनोदशा से उसकी माँ प्रभावित हुई, फिर दोनों बड़ी बहनें। तीनों ने मांस छोड़ा। भावनाओं का मोड़ शुभ दिशा में बढ़ता चला गया। क्रमशः सारे परिवार ने मांस खाना छोड़ दिया । यह हवा आगे बढ़ी । पड़ोस और परिचय क्षेत्र में यह विचार जड़ जमाने लगा कि "सच्चे धर्मात्मा को दयालु होना ही चाहिए । जो दयालु हो, वह मांसाहार कैसे कर सकता है ?"
यही बालक 'रिचे' आगे चलकर पादरी बने । उन्होंने घर-घर घूमकर सच्ची धार्मिकता का प्रचार किया और मांसहार से लोगों को विरक्त किया। उन्होंने श्रद्धालु धर्मप्रेमियों की संस्था स्थापित की, जिसने 'अलवानिया' में अनेकों धर्म-प्रचारकों तथा प्रचार-सामग्री के माध्यम से जो लोक-शिक्षण किया, उससे प्रभावित होकर लाखों व्यक्तियों ने मांसाहार छोड़ा और सच्ची धार्मिकता अपनाई । २. इस सबको देखते हुए क्या कोई कह सकता है कि मांसाहार मनुष्य के धर्म और स्वभाव के अनुकूल है ?
मांसाहार : शारीरिक रचना एवं प्रकृति के प्रतिकूल मनुष्य की प्रकृति शाकाहारी है या मांसाहारी ? इसका पता लगाना हो तो सर्वप्रथम उसकी शरीर रचना पर ध्यान देना होगा। शाकाहारी प्राणियों की आँतें अपने-अपने शरीर के अनुपात में लम्बी होती हैं और मांसाहारियों की अपेक्षाकृत छोटी। मनुष्य की आँतें बंदर जैसे शाकाहारियों के स्तर की होती हैं। माँसाहारियों के दाँत तेज, नुकीले, अधिक मजबूत, ऊँचे-नीचे, लम्बे और पैने तथा कुछ पीछे की ओर मुड़े होते हैं, जबकि शाकाहारी प्राणियों के दाँत कुछ छोटे, एक-दूसरे निकट सटे हुए और समतल होते हैं। मनुष्य की दन्त-रचना शाकाहारी गाय, बैल, बकरे, घोड़े आदि के समान होती है।
मांसाहारी प्राणी जीभ से चाट-चाटकर लप-लपाकर पानी पीते हैं जबकि शाकाहारी दोनों होठ मिलाकर जीभ से खींचकर घूट लेकर पीते हैं । मांसाहारी प्राणियों के बच्चे आँखें मूदे पैदा होते हैं, इसलिए वे अँधेरे में भली-भाँति देख पाते हैं, जबकि शाकाहारी प्राणियों की आँखें खुली होती हैं, उनकी आँखें जैसा दिन में देख पाती हैं, वैसा रात्रि में नहीं देख सकतीं। मांसाहारियों की आँखें अँधेरे में चमकती हैं, शाकाहारियों की नहीं। मांसाहारी के शरीर से पसीना नहीं निकलता, उससे तेज गंध आती रहती है । जबकि शाकाहारी के पैरों के तलवों तथा शरीर से पसीना निकलता है। शाकाहारी रात में सोते और दिन में जागते हैं, इसके विपरीत मांसाहारी सोते हुए
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