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८६ : आनन्द प्रवचन : भाग १२
लिए वध किया गया था । इन्हीं सब कारणों ने मुझे सभी प्रकार का मांस निषेध कर वनस्पति खाद्य को अपने भोजन का एकमात्र अथवा मुख्य भाग बनाने का निश्चय करने को निर्देशित किया । "
इस पर से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि मनुष्य की दया, करुणा, सहानुभूति, क्षमा आदि मानवीय गुणों की स्वाभाविक प्रकृति के कारण मांसाहार मनुष्य के लिए अनुकूल नहीं है । मांस मनुष्य का आहार नहीं है । क्रूरता मनुष्य का नहीं, पाशविकता का लक्षण है । मांसाहार मनुष्यता की सार्थकता, स्थिरता और हृदय में स्थापना के विरुद्ध है ।
किसी भी मनुष्य के बच्चे को अगर मांसाहार की ओर प्रेरित करके मांस खाना सिखाया न जाए तो उसकी रुचि मांसाहार की ओर नहीं होगी । उसकी स्वाभाविक रुचि शाकाहारी खाद्यों की ओर होगी । महात्मा गांधी के जीवन की एक घटना है, जब वे २५ वर्ष के थे और बैरिस्टरी पास करने के लिए मांसाहार - त्याग की प्रतिज्ञा लेकर विलायत गये थे ।
विदेश में उन्हें कुछ शाकाहारी साथी मिल गये थे । वेलिंगटन में एक ईसाई पादरी एण्ड्रयू भूरे के सभापतित्व में शाकाहारियों के एक सम्मेलन में गांधीजी भी अपने साथियों के साथ शामिल हुए थे । वहाँ ७ वर्ष का एक बच्चा उन्हें मिला जो उनके साथ घूमने जाता था । गांधीजी ने उसे शाकाहार का महत्त्व और मांसा - हार से मनुष्य के स्वाभाविक करुणा, दया, सहानुभूति आदि मानवीय गुणों का नाश भी समझाया । फिर उसने जब भोजन की मेज पर गांधीजी को शाकाहारी भोजन करते देखा तो जिज्ञासावश पूछा- आप मांसाहार क्यों नहीं करते ?
गांधीजी ने स्नेहवश उसे मांसाहार न करने के सभी कारण बताए । बालक अत्यन्त प्रभावित हुआ और तब से अपने मांसाहारी माता-पिता के साथ रहते हुए भी उसने मांस-भोजन कभी नहीं किया। उसके माता-पिता को भी शाकाहार के गुणों के प्रति श्रद्धा थी, इसलिए कोई आपत्ति न उठाई। गांधीजी ने वहाँ से प्रकाशित होने वाली एक पत्रिका में इस विचार को प्रकाशित भी कराया था कि "अगर बालकों के माता-पिता मांसाहार से शाकाहार की ओर लौटने के विरोधी न हों तो बच्चों को मानव-प्रकृति के विरुद्ध मांसाहार के त्याग की बात समझाना अत्यन्त आसान है ।"
इसी दौरान गांधीजी को एक लड़का और मिला था, जो स्पष्ट रूप से स्वीकार कर रहा था कि "मुझ से मुर्गा आदि कोई भी जीव मारे नहीं जा सकते और नही मारते हुए देखे जा सकते हैं
इससे स्पष्टतः कहा जा सकता है कि यह मानव-पुत्र मांसाहार के प्रति अरुचि का परिचायक है ।
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