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आनन्द प्रवचन : भाग ११
कर बैठता है । उसी गृहस्वामी ने चतुरी (नौकर) को एक बंद लिफाफा दिया और पैसा देकर कहा-"जा डाकघर में जाकर इसे रजिस्ट्री करा आ। इसे तुलवा लेना और जितने की कहें, टिकिट लेकर चिपका देना। फिर वे इसे ले लेंगे और तुझे एक रसीद दे देंगे। वह रसीद ले आना समझा ? क्या समझा ?"
चतुरी ने जो जैसे-जैसे गृहस्वामी ने कहा था, दोहरा दिया। गृहस्वामी ने कहा-"ठीक है, जा।" ।
चतुरी डाकघर गया और थोड़ी देर बाद ही हाथ में लिफाफा लिए ही लौट आया। गृहस्वामी ने पूछा-"क्यों, वापस क्यों ले आया ? क्या टिकिट कम पड़ गया ? वह वोला-"जी नहीं, आपने जैसे-जैसे कहा, मैने ठीक वैसे ही वैसे किया; मगर रजिस्ट्री वाले ने कहा-लिफाफे पर पता नहीं है, लिखवा ला । मैं तो लड़ पड़ा-मालिक ने मेरे सामने पता लिखा है, आप नहीं कैसे कह रहे हैं ? बड़ी कहा-सुनी हो गई।" गृहस्वामी भी अजीब हैरानी में पड़ गये । चतुरी के हाथ से लिफाफा लेकर देखा तो सिर पीट लिया। उसने पूरे पते पर ही सारे टिकिट चिपका दिये थे। कहीं पते का एक अक्षर भी खुला नहीं था।
इस प्रकार की मूर्खता करने वाला क्या पशु से भी गया-बीता नहीं है ? तिर्यञ्च और मूर्ख की प्रकृति में अन्तर नहीं
वैसे देखा जाये तो मूर्ख और तिर्यञ्च की प्रकृति में कोई अन्तर नहीं होता। तिर्यञ्च शरीर से आगे की सोच नहीं सकता, उसे कुछ भी खाने-पीने को मिलेगा, वह स्वयं ही प्रायः खा-पी लेगा। दूसरा भूखा पशु पास में आकर खड़ा होकर टुकुरटुकुर देखता है, तो भी उसका हृदय पिघलता नहीं, उसमें देने की उदारता नहीं होती। अतः तिर्यञ्चों की व्यस्तता शरीर से आगे की नही होती, मूों का भी यही हाल है। वे भी अपने शरीर से आगे की प्रायः नहीं सोचते। साथ ही पशु प्रीति, भीति, द्वेष और क्षुधा से आगे नहीं जाते, मूों की प्रकृति भी प्रायः ऐसी ही होती है।
जीवन की सरसता और मौलिकता सदाचार में है । सदाचार और दुराचार की सुगन्ध ब दुर्गन्ध लाखों वर्षों तक मृत्यु के बाद भी संसार में आती रहती है। परन्तु जिसके जीवन में सदाचार होता है, वहाँ सुगन्ध एवं मानवता होती है, जिसके जीवन में दुराचार होता है, वहाँ होती है दुर्गन्ध एवं पशुता । रावण को ११ लाख वर्ष हो गये, फिर भी प्रतिवर्ष उसकी दुर्गति की जाती है। पता है, उसका शरीर काला और उसके सिर पर सींग क्यों दिखाये जाते हैं ? ऐसा क्यों ? रावण वैसे तो आदमी ही था, परन्तु उसने दुराचार के कार्य किये, इसलिए उसे पशुता का प्रतीक बताने हेतु काला शरीर एवं सींग बताये जाते हैं। निष्कर्ष यह है कि दुराचार पशुता की निशानी है।
अमरीका में मानवता का पुरस्कर्ता टामस पेन हुआ है। उसके जीवन चरित्र
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