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अनवस्थित आत्मा ही दुरात्मा ५ दुरात्मा बन जाता है। आत्मा का अपने पर उस समय आधिपत्य नहीं रहता, वह दूसरों के अधीन हो जाता है।
तथागत बुद्ध का एक चचेरा भाई भिक्षु बन गया था, उसका नाम था सुभाग । दूसरे भिक्षुओं के साथ उसकी पटती नहीं थी। वह हर एक के साथ झगड़ पड़ता था। वह समझता था, मैं दूसरों पर रौब दिखाकर अपना सिक्का जमा लूगा । तथागत ने जब उसकी यह वृत्ति देखी तो उसे आदेश दिया-"जाओ, तीन दिन तक एकान्त में निर्जल तीन उपवास करके रहो।"
__यह देखकर आनन्द ने बुद्ध से कहा-"आखिर तो आप क्र द्ध हो गए न ?" बुद्ध बोले-"क्या कहा, मैं ऋद्ध हो गया ? यह तुमने किस पर से निर्णय किया ?" आनन्द ने कहा-"आपने सुभाग भिक्षु को दण्ड जो दिया है ।" बुद्ध-"मैंने उसे सजा नहीं दी है, दिव्य आशीष दी है। तीन दिन के बाद उसका परिणाम तुम सब को ज्ञात हो जाएगा।"
और तीन दिन के बाद जब सुभाग एकान्तवास से बाहर निकला तो आनन्द और अन्य भिक्षुओं को लगता था कि या तो यह भाग जाएगा, अथवा यह पहले से भी ज्यादा बुरा व्यवहार करेगा; परन्तु यह क्या ? सबके आश्चर्य के बीच वह सीधा तथागत बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा, और ये उद्गार निकाले"तथागत ! मैं धन्य हो गया हूँ, आपकी कृपा से ।" "सुभाग ! खड़ा हो जा। तुम में नवचेतना का स्फुरण देखकर मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है ।" यों कहकर तथागत ने उसे अपने हाथ से भोजन कराया ।
उसी दोपहर को भिक्ष आनन्द खासतौर से उससे मिलने गये। उन्होंने सुभाग भिक्षु से पूछा-"भिक्षो ! क्या चमत्कार हुआ, मुझे भी कहो ?"
"भंते ! मेरा जीवन बदल गया है। मैं तो तथागत से प्रार्थना करूंगा कि मुझे ये ८ दिन के निर्जल उपवास के साथ एकान्तवास की अनुमति दें।"
भिक्षु आनन्द–“परन्तु तुम्हें क्या अनुभव हुआ ? यह तो बताओ।"
सुभाग भिक्षु-''भंते ! मैंने तीन दिनों तक अपनी आत्मा के विषय में शान्त, स्वस्थ और दत्तचित्त होकर चिन्तन-मनन किया और मुझे यह बात भलीभाँति समझ में आगई कि मेरी आत्मा जगत् में महान् है और वही नादान भी है। महानता और नादानता दोनों मेरे अंदर छिपी हुई हैं। मैं जिसे चाहूँ प्रकट कर सकता हूँ।"
निष्कर्ष यह है कि जब व्यक्ति का अपने पर अपना नियंत्रण या आधिपत्य रहता है, तब वह अपनी आत्मा को श्रेष्ठ बना सकता है और जब उसका अपने पर नियंत्रण या आधिपत्य नहीं रहता, तब वह अनवस्थित होकर आत्मा को दुरात्मा बना लेता है ।
आत्मा की अनवस्थित दशा कब, अवस्थित दशा कब ? - जब यह सिद्ध होगया कि अनवस्थित आत्मा दुरात्मा बन जाता है और
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