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२३६ आनन्द प्रवचन : भाग ११
पास पहुँचे । नवयुवक व्यापारी के मुँह से फेन निकल रहा था। डी० एस० पी० ने सिविल सर्जन को बुलाया । फिर कोट आदि जेबें टटोलीं तो कुल ५०७००) रुपये के नोट, माल खरीदने की सूची, कर्नाटक रेस्टोरों की एक स्लिप मिली । डी० एस० पी० को समझते देर न लगी कि यह मध्य प्रदेश का प्रतिष्ठित व्यापारी है, दक्षिण भारत में माल खरीदने आया है । ताँगे वाले के बयान लिये । उसने सच्चाई के साथ सभी घटनाएँ स्पष्ट कह दीं । ताँगे वाले की ईमानदारी से डी० एस० पी० बहुत प्रभावित हुए ।
फिर डी० एस० पी० ने कर्नाटक रेस्टोरों को फोन करके रोजनामचा लेकर बुलाया । इतने में सिविल सर्जन अपने दल-बल सहित वहाँ जा पहुँचे । उन्होंने व्यापारी के रोग की भलीभाँति जाँच की और बताया कि यह रोगी अधिक से अधिक एक घंटे का मेहमान है । सतत रक्त प्रवाह के कारण इसका बचना असम्भव है | डॉक्टर ने अथक प्रयत्न करके नवयुवक व्यापारी की मूर्च्छा दूर की । होश में आने पर उसने धीरे से कहा - मैं कृष्णराज सागर पुल की सीढ़ियाँ चढ़ रहा था कि एकाएक चक्कर आ गया, मैं जमीन पर गिर पड़ा। जैसे-तैसे साहस करके दुबारा सीढ़ियाँ चढ़ने लगा कि मुझे फिर चक्कर आ गया । उसके बाद क्या हुआ मुझे पता नहीं । होश में आने पर मैंने अपने-आपको पाया कि मैं एक ताँगे में जा रहा हूँ । तांगे वाले की हमदर्दी और सेवा से मैं बहुत प्रभावित हुआ, और उसे १०० ) रु० देने लगा, किन्तु उसने नहीं लिये। फिर मैंने उसे ५००) रु० दिये, लेकिन उसने लिये या नहीं ? मुझे मालूम नहीं, क्योंकि मुझे पुनः बेहोशी आ गई थी । मुझे पता नहीं, ताँगे वाले ने वे ५००) रु० लिये या नहीं । ताँगे वाला बहुत ही ईमानदार, नेक और सेवाभावी मालूम होता है ।"
इतने में कर्नाटक रेस्टोरों के मैनेजर आ गये । इन्होंने रोजनामचा बताया, जिसमें लिखा था— महेशचन्द्र कौल, फर्म – महेशचन्द्र गिरिजाशंकर कोल | निवासी मालपुरा, जि० बस्तर ( म०प्र०) । तीन दिन ठहरने की स्वीकृति थी ।
इसके पश्चात् महेश कौल ने बहुत ही क्षीण स्वर में कहा – “अब मैं कुछ ही मिनटों का मेहमान हूँ । ताँगे वाले ने मेरो खूब सेवा की है, इसे ५ हजार रुपये मेरी ओर से इनाम दे देना । मैं ५०८००) रु० लेकर घर से चला था । दो सौ रु० खर्च हो गए । ५०७००) रु० सुरक्षित हैं । आप मेरी फर्म के नाम पर फोन कर दें । मेरा छोटा भाई गिरिजाशंकर आ जाएगा ।"
डी० एस० पी० ने भी बहुत सहानुभूति बताई । कहा - तांगे वाले को आपने ५००) दिये थे, लेकिन वे उसने लिये नहीं; आपके कोट की जेब में रख दिये थे । सचमुच ताँगे वाला बहुत ईमानदार व्यक्ति है । इसकी ईमानदारी जनता को ईमानदार बनने का पाठ पढ़ाती है । मैंने बहुत-से ताँगें वाले देखे हैं, मगर ऐसा तांगे वाला नहीं देखा । आपकी बेहोशी हालत में वह ५०७००) रु० अपने कब्जे में करके आपका
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