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जो धार्मिक, वे ही सेवापात्र
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की ओर इष्टिपात करके देखा तो प्रवेश द्वार के निकट सूखी काया में लिपटी. फटेहाल, दीन-हीन, परन्तु धर्मभावना से ओत-प्रोत एक स्त्री खड़ी थी।
पुजारी ने आश्चर्यचकित होकर उससे पूछा- "कौन है तू ?"
वह महिला बोली- ''मैं एक विपदग्रस्त निराधार स्त्री हूँ पुजारी जी ! मुझे अपने गाँव में पहुँचना था, किन्तु वर्षा, आँधी एवं तूफान होने से अब मेरा गाँव पहुंचना असम्भव है, मैं रातभर के लिए इस मन्दिर में आश्रय चाहती हूँ।"
पुजारी कड़ककर बोला---'तो पहुँच जा गाँव में, किसी के यहाँ तुझे भोजन भी मिल जाएगा।"
आगन्तुक महिला बोली- 'मुझे भोजन नहीं चाहिए पुजारी जी ! केवल रात बितानी है। यह भगवान् का मन्दिर है, भगवान् तो सबके होते हैं, क्या इस मन्दिर में मुझे रात्रि विश्राम के लिए स्थान नहीं मिलेगा ?"
___ अब तो पुजारी के मुख का भाव पलटा । वह बोला--'यहाँ स्थान नहीं मिल सकता।"
___महिला धार्मिक वृत्ति की तेजस्वी जीवन वाली थी, बोली-"पुजारीजी ! आप भगवान् के मन्दिर के पुजारी होकर ऐसा क्यों कहते हैं ? मैं आपके कहने का अर्थ न समझ सकी।"
पुजारी—"तेरी पोशाक और बोली से लगता है, तू हमारे धर्म सम्प्रदाय की नहीं है, तू कोई विधर्मी दिखती है।"
महिला-बात सच्ची है, मैं आपके धर्म-सम्प्रदाय की नहीं हूँ, विधर्मी हूँ, परन्तु अधर्मी तो नहीं हूँ। मैं भी धर्म के अंगों का पालन करती हूँ। मैं किसी न किसी रूप में ईश्वर पर श्रद्धा रखती हूँ, इसलिए मैं आस्तिक हूँ, नास्तिक नहीं।"
इतना कहने पर भी पुजारी के मन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा । वह तमककर बोला- "मुझे तेरे लम्बे-चौड़े भाषण सुनने की फुरसत नहीं । मन्दिर का कानून ऐसा है कि यहाँ उसी को स्थान दिया जाता है, तो हमारे धर्म-सम्प्रदाय का अनुयायी हो, विमियों के लिए यहाँ स्थान नहीं । इसलिए तेरे धर्म का मन्दिर हो, वहाँ जाकर तू रात बिता सकती है, यहाँ तुझे रात्रिवास मिलना कठिन है।"
महिला बोली-''तो क्या ऐसी घनघोर रात्रि में भी मुझे यहाँ स्थान नहीं मिलेगा, पुजारीजी ?"
पुजारी ने दृढ़ता से उत्तर दिया-"नहीं, और एक बात और सुनती जा, जो लोग हमारे धर्म को मानते हैं, उन्हें ही मुक्ति मिलती है, तुम्हारे जैसों को मुक्ति नहीं - मिलती।"
वह महिला पुजारी की बात का जबाव दे, इसके पूर्व ही आकाश में एक भयंकर मेघ गर्जना हुई, उसके साथ ही सहसा मन्दिर पर बिजली गिरी । वह सारे मन्दिर को छिन्न-भिन्न करती हुई जमीन में उतर गई । सारा मन्दिर भस्मीभूत हो गया पुजारी का शरीर भी जलकर खाक हो गया, किन्तु कुछ दूर खड़ी वह महिला बच गई, उसे
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