SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११० आनन्द प्रवचन : भाग ११ एक रागान्ध पति का ऐतिहासिक उदाहरण लीजिये एक बादशाह अपनी बेगम के प्रति प्यार में बहुत अन्धा था। एक दिन बात ही बात में बादशाह ने बेगम से कहा--"प्यारी ! मैं तुम पर जान कुर्बान करने को तैयार हूँ। तुम मर जाओगी तो मैं कैसे जिन्दा रहूँगा।" इस पर बेगम ने एक शेर के द्वारा उत्तर दिया मुझ पे तुम मरते नहीं, मर रहे इन चार पर । 'नाज' पर, अन्दाज' पर, रफ्तार पर, गुफ्तार पर । -अर्थात् तुम मुझ पर नहीं मरते हो, मरते हो मेरी इन चार बातों पर(१) मेरे नखरे पर, (२) मेरे कटाक्ष पर, (३) मेरी चाल पर और (४) मेरी वाणी पर। बादशाह अब क्या बोलता ! बेगम ने उसे खरी-खरी सुना दी थी। पुत्र के प्रति माता का प्रेमराग-इसी तरह पुत्र के प्रति माता का प्रेमराग भी अपने स्वार्थ का होता है । स्वार्थ सिद्ध होने पर न तो माता पुत्र को चाहती है और न ही पुत्र माता को । दोनों एक दूसरे-से किनाराकसी करने लग जाते हैं। हिन्दू महाभारत का एक प्रसंग है । जब सारे क़ौरव महाभारत युद्ध में एक-एक करके समाप्त हो गये, तब गान्धारी शोकाकुल हो उठी। वह रोती-चिल्लाती, छाती कूटती युद्धस्थल में पहुँची । कहते हैं, वहाँ ऐसी माया फैलाई गई कि अंधेरी रात में चारों ओर शव ही शव पड़े दीख रहे थे । गान्धारी अपने पुत्रों को पहचान-पहचानकर छाती से लगा-लगाकर विलाप कर रही थी। इतने में उसे असह्य भूख लग आई। देवमाया से उसे सामने ही एक आम का पेड़ दिखाई दिया, जिस पर पके हुए आम लगे थे । आमों की सुगन्ध से गान्धारी का मन प्रसन्न हो उठा। खुशी की बात यह थी कि आम के फल भी नीचे झुके हुए थे। गान्धारी पुत्रवियोग का दुःख तो भूल गई, भूख मिटाने के लिये आम खाने को उद्यत हुई । वह ज्योंही आम के पेड़ के पास पहँची और फल लेने को हाथ ऊपर उठाण तो फल थोड़ा-सा दूर रह गया। इधरउधर देखा कि यदि कहीं पत्थर पड़ा मिल जाये तो उस पर चढ़कर आम तोड़ ले । पर वहाँ पत्थर कहाँ मिलता ? अपने पुत्रों के मृत शरीर वहाँ अवश्य पड़े थे। गान्धारी ने आव देखा न ताव। चट से एक शव को वहाँ डाला और उस पर खडी होकर आम तोड़ने लगी। फिर भी थोड़ी-सी दूरी रह गई तो दूसरे पुत्र का शव डाला, फिर तीसरे का, यों एक-एक करके सब पुत्रों के शवों को एक पर एक रखकर उनकी छाती पर खड़ी होकर फल लेने के लिये हाथ बढ़ाया, फिर भी थोड़ी-सी दरी रह गई । 'हर बार आम का पेड़ ऊपर क्यों उठ जाता है ? मेरी आँखों पर पटटी बंधी हुई है, फिर भी मुझे आम क्यों दिखाई दे रहे हैं ?' ये सारे विकल्प उस समय १. नखरा २. कटाक्ष ३. चाल ४. बोली Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004014
Book TitleAnand Pravachan Part 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy