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प्राणिहिंसा से बढ़कर कोई अकार्य नहीं ६३ ही एक किसान उधर ही शौचक्रिया करने गया। किन्तु पत्तों की खड़खड़ाहट तथा दोनों भाइयों की बातचीत साफ-साफ सुनाई दे रही थी। उसने कान लगाकर दोनों की बात सुनी तो शंका हुई कि इनके यहाँ कोई व्यक्ति आज आए हुए हैं, उन्हें ही। वह किसान झटपट शौचक्रिया से निवृत्त होकर उन किसान भाइयों के यहाँ पहुँचा और बैठक में सोए हुए दोनों आगन्तुकों के हाथ लगाकर धीरे से जगाया तथा एक के कान में कहा-'यहाँ से अभी का अभी चलो, आपको दूसरी जगह सोना है।" उन दोनों आगन्तुकों के अन्तर् में कोई दैवी प्रेरणा हुई कि कुछ न कुछ दाल में काला है। वे दोनों झटपट उठकर अपना सामान लेकर उक्त ग्रामीण के साथ चल दिये। उसने उन्हें अन्यत्र ले जाकर सुला दिया। संयोगवश उस दिन उन दोनों कृषक भाइयों के दो पुत्र गाँव में आई हुई नाटक मंडली का नाटक देखने गये हुए थे। उनको नींद के झोंके आने के कारण वहाँ से उठकर घर आ गए । बैठक में दो खाटों पर बिछौना किया हुआ देखकर सोचा-हमारे लिये ही हमारी माताओं ने यह किया होगा। वे दोनों कुछ समय तक बातचीत करके अपनी-अपनी कमीज खूटी पर टांगकर सो गए। उधर गड्ढे खुद जाने के बाद दोनों कृषक भाइयों ने अपनी पत्नियों को संकेत किया कि मामला तैयार है, अब तुम शीघ्र ही इनका काम तमाम करो। दोनों महिलाओं ने खाट के पास जाकर देखा कि और समझीं कि दोनों गहरी नींद में सोये हुए हैं। बस चट से एक-एक ने एक-एक की गर्दन पर तेज छुरा फेर दिया। दोनों बच्चे थोड़ी ही देर में समाप्त । फिर उन महिलाओं ने दोनों की कमीजें टटोली तो आश्चर्य हुआ कि उनमें १२००) या १५००) रुपये के बदले आठ-दस आने ही निकले । बुरा काम भी किया और पल्ले भी कुछ नहीं पड़ा, इसका उन्हें अफसोस हुआ । पर अब क्या था। दोनों कृषक-भाई भी घर पर आगए। और दोनों की लाशें लेकर गड्ढे में डालने पहुँचे। गड्ढे में डालकर निश्चिन्त होकर जब सोने लगे तो उक्त दोनों महिलाओं की बात सुनकर चिन्ता में पड़ गए। किसी तरह रात काटी । सबेरे जब एक भाई गाँव में जा रहा था, तो एक कुए पर दोनों आगन्तुकों को हाथ-मुँह धोते देखकर वह भौंचक्का-सा रह गया। उलटे पैरों घर लौटकर उसने अपनी स्त्री से पूछा- "तुम ने किन का सफाया किया है ? उन दोनों को तो मैं कुए पर हाथ-मुंह धोते जीवित देखकर आया हूँ। जरा ठीक से देखो, कहीं अपने बच्चों को तो....?" महिलाओं को भी बहम हुआ। दोनों भाई गन्ने के खेत में गड्ढे खोदकर पुनः देखने पहुँचे। उधर उक्त ग्रामीण की रिपोर्ट पर पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई। गड्ढा खोदकर देखा तो दोनों भाइयों के अपने ही लड़के ! सारे घर में कुहराम मच गया। पुलिस दल उन दोनों भाइयों तथा उनकी पत्नियों को गिरफ्तार करके ले गया। चारों पर मुकदमा चला । कई वर्षों की जेल हुई, आर्थिक दण्ड भी हुआ। इस तरह वे बर्बाद हो गए।
यह घटना हिंसा के चतुर्थ विकल्प की द्योतक है कि जिनकी हिंसा करना चाहते थे, उनकी हिंसा की तैयारी कर लेने पर भी न कर सके, किन्तु उसका दुष्फल कुछ ही समय बाद भोगना पड़ा।
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