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________________ ६२ आनन्द प्रवचन : भाग ११ (३) मेरठ जिले के दादरी गाँव में एक पहलवान रहता था। वह रोज दूध हंडिया में डाल कर गर्म करने हेतु चूल्हे पर चढ़ाकर अखाड़े में चला जाता था। दोतीन दिन से एक कुत्ता थोड़ा-सा दूध पी जाया करता था। जब वापस आकर देखता तो उसने सोचा-यह दूध कम कैसे ? हो न हो कोई न कोई पी जाता है। आज मैं देखूगा कि कौन यह दूध पी जाता है । वह एक कोने में छिपकर बैठ गया। कुछ ही देर बाद एक कुत्ता आया, वह दूध की हंडिया के पास पहुंचकर ज्यों ही हंडिया में मुंह डालने लगा, त्यों ही पहलवान ने दरवाजा बन्द कर दिया, उस कुत्ते को रस्सी से बाँधा और लोहे की नोकदार सलाइयाँ गर्म करके उसकी आँखों में घुसेड़ दीं। अब क्या था, कुत्ता असह्य पीड़ा के कारण छटपटाता रहा और दो-तीन दिन में ही मर गया। इस घटना के ठीक सात दिन बाद उस पहलवान की आँखों में शूल भोंकने जैसी असह्य पीड़ा उत्पन्न हुई और ७ ही दिन में वह पहलवान उस पीड़ा से छटपटाकर मर गया । यह है-हिंसा करने के बाद फल मिलने का उदाहरण ! कई बार फल देर से भी मिलता है । पर मिलता जरूर है। (४) मेरठ से ५ मील दूर पांचली गाँव का एक उदाहरण है। दो किसान किसी दूसरे गाँव से बैल खरीदने पांचली गाँव में आए। पांचली के ही एक किसान परिवार में वे ठहरे । किसान परिवार में दो भाई थे। उन्होंने बैलों की जोड़ी दिखाई। दोनों आगन्तुकों को बैलों की जोड़ी पसंद आ गई। बारह सौ रुपये में बैलों की जोड़ी तय हो गई । परन्तु रात पड़ जाने के कारण आगन्तुकों ने उस समय किसान बन्धुओं से कहा- "इस समय रात पड़ गई है। हमारा गाँव यहाँ से काफी दूर है । अतः रात को हम बैल लेकर समय पर नहीं पहुँच सकेंगे । अतः रात भर हम आपके यहाँ ही ठहरेंगे। सुबह १२००) देकर बैल ले जाएंगे।" दोनों किसान भाइयों ने कहा- "बहुत अच्छी बात है। आप रात भर यहीं ठहरिये। आपके खाने-पीने, सोने आदि की सब व्यवस्था यहीं हो जाएगी।" ठीक समय पर दोनों आगन्तुकों को भोजन करवा दिया। बाहर की बैठक में दोनों के सोने के लिए चारपाई लगवा दी गई, उस पर बिछौना विछवा दिया गया। दोनों आगन्तुक थोड़ी बातचीत करके सो गये। कुछ ही देर बाद दोनों किसान भाइयों के मन में दुर्भाव पैदा हुआ-क्यों नहीं इन दोनों का सफाया कर दिया जाए, यहाँ हमारे सिवाय और तो कोई जानता ही नहीं है । १२००) रुपये तो इनके पास हैं ही, और भी होंगे । बैलों की जोड़ी भी नहीं देनी पड़ेगी। परन्तु इन दोनों की गर्दनों पर छुरा फेरने का कार्य उन्होंने अपनीअपनी पत्नियों को सौंपा और स्वयं दोनों ने गड्ढे खोदने का जिम्मा लिया अपनी-अपनी पत्नियों से दोनों भाइयों ने कह दिया-'जब हम इशारा करें कि अब गड्ढे खुद गये हैं, तब तुम चुपचाप मौका देखकर इनकी गर्दनों पर छुरा फेर देना । फिर हम सब मिलकर इन्हें उन गड्ढों में डालकर जमीन को ऊपर से एक-सी कर देंगे, ताकि किसी को सन्देह न हो।" दोनों भाई रात को लगभग ११ बजे निकटवर्ती गन्ने के खेत में गड्ढे खोदने गए। गड्ढे खोदते समय पत्तों की खड़खड़ाहट होने लगी। ठीक उसी समय पांचली का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004014
Book TitleAnand Pravachan Part 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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