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आनन्द प्रवचन : भाग १०
एवं सज्जनता का पुट बनाये रखते हैं । उनकी यह आन्तरिक महानता ही दूसरे की आँखों में बड़ा आदमी प्रमाणित करती है ।
मेसेच्युसेट्स के सेनेटर चार्ल्स समर एक दिन प्रातः काल अमरीका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन से मिलने आये । आते ही उन्होंने देखा कि अमरीका के राष्ट्रपति स्वयं अपने बूटों पर मस्ती से पालिश कर रहे थे । आगन्तुक ने पूछा - " आप अपने बूटों पर स्वयं ही पालिश क्यों कर रहे हैं ? क्या कोई नौकर नहीं है ?"
अब्राहम लिंकन ने विनोद में उत्तर दिया- " अपने बूटों पर नहीं तो क्या किसी दूसरे के बूटों पर करूँ ? अपना काम स्वयं करने में संकोच ही क्या ? छोटीछोटी निजी सेवाओं के लिए दूसरों पर निर्भर रहना किसी भी तरह से उचित नहीं ।"
कार्लाइल के शब्दों में कहूँ तो — “बड़े आदमी छोटे आदमियों के साथ सद्व्यवहार करके अपना बड़प्पन प्रगट कर सकते हैं ।"
अधिप हो सच्चा जननेता होता है
जो सच्चे अधिप होते हैं, चाहे वे किसी भी जीवन क्षेत्र के हों, सच्चे जननेता होते हैं । वे 'जैसे को तैसा' की नीति नहीं अपनाते, गाली और घूंसों का जवाब गाली और घूंसे से देने से कोई आदमी बड़ा नहीं हो जाता है, बड़े आदमी में जो विशेषता देखी जाती है, वह है क्षमा और सहनशीलता । वे ओछे लोगों की छोटी हरकतों से उद्विग्न नहीं होते । उनकी गलती को सुधारने का प्रयत्न करते हुए भी वे अपना मानसिक सन्तुलन नहीं खोते । वे अपने में भी जहाँ गलती देखते हैं, वहाँ तुरन्त सँभलने और सुधरने को तत्पर हो जाते हैं; जबकि क्षुद्र व्यक्ति अपनी हर बात को सही व सच्ची सिद्ध करने की कोशिश करते हैं और जो भी खराबी दिखायी पड़ती है, उसका दोष दूसरों पर मढ़ देते हैं । बड़े आदमियों का तरीका इससे भिन्न होता है, वे प्रत्येक कार्य में देखते हैं कि मेरा जितना कर्तव्य और उत्तरदायित्व था, वह पूरा किया या नहीं ? अपनी गलतियाँ वे स्वयं सोचते और दूसरों से पूछते रहते हैं ।
भू० पू० राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र बाबू उन दिनों कांग्रेस के अध्यक्ष थे । एक बार उन्हें देश-सेवा के उपलक्ष में एक लाख रुपयों की थैली मिली; जो उन्होंने काँग्रेस को भेंट कर दी । निकट के कुछ व्यक्तियों ने जाकर उनकी फुआ से कह दिया - " बाबू को एक लाख रुपये मिले हैं, उन्होंने सब काँग्रेस को भेंट कर दिये हैं । फुआ बहुत बिगड़ीं, उन्होंने राजेन्द्र बाबू को बहुत डाँटा, लेकिन वे मुस्कराते हुए सुनते रहे ।
एक बार राजेन्द्र बाबू जेल में थे, पीछे से किसी ने उनका एक खेत जोत लिया। नौकरों ने फुआ को खबर दी । वे कारिन्दों के दाँव से परिचित तो थीं नहीं, सीधे
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