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आनन्द प्रवचन : भाग ८
शब्द-काम भोग के दुष्परिणाम
शब्द में भी बहुत बड़ा जादू होता है। प्रायः मनुष्य किसी नारी के सुरीले कण्ठ से निःसृत स्वर लहरी सुन लेता है या उसकी कोमल कान्त पदावली सुनता है तो उस पर आकर्षित होकर काम-पीड़ित हो जाता है। वेश्याओं या नर्तकियों के गीत या सिनेमा तारिकाओं के संगीत मूढ़ लोगों को काम-विह्वल बना देते हैं। वैसे संगीत मनुष्यों को ही नहीं पशुपक्षियों, सर्पो, हरिणों, गायों वनस्पतियों तक को आकर्षित कर लेता है। श्री कृष्णजी की बांसुरी की मधुर स्वर सुनकर गाँयें खींची हुई उनके पास चली आती थीं। हिन्दू पुराणों के अनुसार यही दशा गोकुल गोपिकाओं की थी । कहते हैं श्रीकृष्ण जब मुरली बजाते थे तो वे चराचर सभी को मोहित कर लेते थे, वायु और वृक्ष भी स्तम्भित हो जाते थे ।
ब्रह्मस्थल नगर के भुवनचन्द्र राजा का पुत्र 'राम' संगीत एवं गायन में अत्यन्त आसक्त रहता था । वह जहाँ भी संगीत सुन लेता, दौड़कर वहाँ पहुँच जाता था। एक दिन राजा ने अपने मंत्री से पूछा- “मन्त्रिवर ! क्या मैं अपने पुत्र राम को युवराज पद दे दूं ?" मंत्री ने कहा- "स्वामिन् ! राजकुमार राम राज्य के योग्य नहीं है।" राजा ने पूछा- "इसमें कौन-सा अवगुण है ? मंत्री ने कहा-"महाराज ! इसके श्रोत्रेन्द्रिय वश में नहीं है। यह जहाँ तहाँ आसक्ति पूर्वक संगीत एवं गायन सुनने चला जाता है। इसी कारण यह अनेक गन्धर्व डोम, पन्नग आदि नीच जाति के लोगों का कुसंग करता है।" यह सुनकर राजा मुस्कराकर बोला-मंत्रिवर ! राजाओं के लिए तो गीत-गायन सुनना गुण है, उसे आप अवगुण क्यों बता रहे हैं ?" मंत्री बोला"राजन् ! गायन आदि में आसक्ति अच्छी नहीं। अतः आप राम से छोटे भाई को युवराज पद दीजिए।" इतना कहने के बावजूद भी मंत्री की बात राजा को रुचिकर न लगी। राजा ने अपने बड़े पुत्र 'राम' को. युवराज पद दे दिया। जब राजा का निधन हो गया तो 'राम' राजा बना, उसने छोटे भाई महाबल को युवराज बनाया। राजा बन जाने के बाद 'राम' स्वच्छन्दता पूर्वक जहाँ-जहाँ संगीत एवं गायन सुनने जाता। स्वयं भी गीत-गायन गाता तथा नये-नये गीत बना कर डूम आदि को सिखाकर उनसे गवाता । इस गीत के शौक ने राजा राम को राज्य कार्य के प्रति लापरवाह बना दिया ।
एक दिन कोकिल कण्ठी तरुण डूमनी राजा के पास आई। राजा उसके रूप और गायन पर मोहित हो गया और कुल मर्यादा छोड़कर उसके साथ रमण करने लगा। मंत्री आदि सभी राजपरिवार के लोगों ने उसे बहुत मनाही की, परन्तु उसने किसी की एक न मानी। इस पर सारे राजपरिवार ने 'राम' को राज्यच्युत करके ड्रमनी के साथ देश निकाला दे दिया और उसके स्थान पर उसके छोटे भाई महाबल को राजगद्दी पर बिठा दिया । राम वहाँ से भटकता-भटकता मरकर वन में हिरन बना । वहाँ भी एक गीत की आसक्ति के कारण एक शिकारी द्वारा वह मारा गया ।
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