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होते मूढ नर कामपरायण ५३ देखकर विरक्त होकर दीक्षित हुआ और मरकर देवलोक में पहुँचा। महेन्द्र और चन्द्रवदना को जंगल में घूमते देख कुछ चोरों ने दोनों को पकड़ लिये और बब्बर लोगों को बेच दिये ; जो पुरुष को हृष्ट-पुष्ट बनाकर उसके शरीर से रक्त निकालते थे। उनके इस कुकृत्य से महेन्द्र अत्यन्त दुःख पाने लगा। एक दिन बब्बरों ने उसका बहुत-सा खून निकाल लिया, जिससे वह मर गया, वहाँ से वह नरक में पहुँचा । यों अनन्तकाल तक वह संसार में परिभ्रमण करेगा। इस प्रकार स्पर्श काम से मूढ़ बना महेन्द्र यहाँ राज्य प्राप्ति से वंचित हुआ, और वहाँ नरक आदि के दुःख पाये।
गन्ध-काम में मूढ़ वैज्ञानिकों का कहना है कि नारी (मादा) के शरीर से एक प्रकार की गन्ध, जिसे 'फेरोमोन' कहते हैं, स्रावित होती रहती है। इस सुगन्ध के कण हवा में तैरते रहते हैं, जिसके कारण पुरुष (नर) अज्ञात रूप से उसकी ओर आकर्षित होता रहता है। इसमें एक प्रकार का सेक्स-खिंचाव होता है, जो मनुष्य, पशु-पक्षी आदि में तो रहता ही है; मधुमक्खी, चींटी व रेशम के कीड़े तक में पाया जाता है। उस पदार्थ को 'बॉबीकॉल' भी कहते हैं । ....गन्ध भी मन को कामाकुल बना देता है। दुर्गन्ध से तो मनुष्य दूर भागता ही है, सुमन्ध को अपनाना भी कम खतरनाक नहीं है। यद्यपि सुगन्धित फूल, इत्र आदि की मनोमोहक गन्ध सूंघकर मनुष्य मस्त हो जाता है; किन्तु यह प्रमाद कभी-कभी बहुत ही मंहगा और जानलेवा हो जाता है। चन्दन और चमेली की मनोहर सुगन्ध से आकर्षित होकर बहुधा अनेक विषधर वहाँ आकर उससे लिपट जाते हैं या बैठ जाते हैं और वे अनजाने ही उसके प्राणों के ग्राहक बन जाते हैं ।
पद्मखण्ड नगर में प्रजापति नरेश का गन्धप्रिय नामक पुत्र था। वह जो भी सुगन्धित वस्तु देखता, उसे सूंघे बिना नहीं रहता था। उसका यह शौक इतना अधिक बढ़ा हुआ था कि वह समय-कुसमय नहीं देखता था। एक दिन वह नौका में बैठ कर जल-विहार कर रहा था। संयोगवश उसकी सौतेली माँ ने एक विष मिश्रित सुगन्धित चूर्ण की पुड़िया एक पेटी में डाल कर उसे नदी में बहा दी। वह पेटी तैरतीतैरती गन्धप्रिय की नौका के पास आ गई। उसने कुतूहलवश वह पेटी उठाई और उसमें से वह सुगन्धित विषाक्त पुड़िया निकाल कर तुरन्त सूंघी। सूंघते ही वह मृत्यु के मुख में जा पहुंचा। घ्राणेन्द्रिय की अत्यासक्ति के कारण मर कर वह भौंरा बना । अनन्तकाल तक वह संसार परिभ्रमण करता रहा।
__ क्लॉरोफर्म की गन्ध इतनी तीव्र होती है, कि उसे सूंघते ही मनुष्य अचेत हो जाता है. और अगर इसे ज्यादा मात्रा में सूंघा दिया जाय तो तत्काल मृत्यु भी हो जाती है । सुगन्धित पदार्थ भी कामोत्तेजक होता है । इस प्रकार गन्ध की आसक्ति के भी अनेक दुष्परिणाम होते हैं। गन्ध के वश होकर भौंरा अपने प्राण खो देता है ।
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