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________________ ३०२ आनन्द प्रवचन : भाग ८ "Poverty wants somethings, luscury wants many, avarice . all things." गरीबी कुछ चीजें माँगती है, विलासिता चाहती है बहुत-सी चीजें किन्तु लोभप्रेरित इच्छा (लालसा) तमाम चीजें चाहती है । अतः कहना होगा कि लालसारूप इच्छा और विलासिता रूप की इच्छा की मांग बहुत ही अनुचित और जीवन के लिए अनिष्ट है। इन उच्छृखल इच्छाओं की मांगों से मनुष्य का जीवन भी दुःखी हो जाता है, फिर अपनी-अपनी अभीष्ट इच्छा की पूर्ति न होने पर तो दाहज्वर के समान असन्तोष के कारण अपने मन में कुढ़ता रहता है दूसरों की इच्छा को मिटाकर वह अपनी इच्छा तृप्त करने में लगा रहता है । ___ मैंने टॉल्स्टाय की लिखी हुई एक कहानी पढ़ी थी-एक पिता के तीन पुत्रियाँ थीं। पिता ने तीनों की अलग-अलग जगह शादियां कर दीं । एक लड़की किसान को दी, एक कुम्हार को और एक जुलाहे को दी । बरसात के दिन आ गए थे। जब वर्षा नहीं हुई तो कुम्हार बड़ा खुश था। उसकी पत्नी प्रभु को धन्यवाद देती है-'धन्य हो प्रभु, हमने सब घड़े बनाकर रखे थे, यदि वर्षा आती तो वे सब नष्ट हो जाते । आठ दिन तक पानी न आए तो हमारे सब घड़े आँवें में पक जाएँ।" लेकिन किसान की पत्नी बड़ी परेशान है। उसका खेत तैयार है। वर्षा नहीं हुई । अगर ८ दिन की देर हो गई तो बीज बोने में विलम्ब होगा, बच्चे भूखे मर जाएँगे।" इसलिए वह भगवान् से जल्दी पानी बरसाने की प्रार्थना करती है । लेकिन जुलाहे की पत्नी भगवान् से कहती है-अब तेरी मर्जी है, चाहे आज बरसा, चाहे ७ दिन बाद, हमारा काम हो गया है । कपड़े सब बुनकर तैयार हैं, रंग भी लिये गये हैं।" कहानी कहती है-भगवान् अपने देवताओं से पूछता है-बोलो मैं किसकी इच्छा पूरी करूं ? ये तो सिर्फ तीन व्यक्ति हैं। अगर सारी सृष्टि के लोगों से इच्छाएं पूछी जाएं तो असंख्य प्रकार की होंगी। इस प्रकार इच्छाएं पूरी करने में ही मैं लगा रहा तो उनकी जिन्दगी का अन्त आ जायेगा, लेकिन इच्छाएँ अतृप्त और अधूरी ही रहेंगी।" सचमुच इच्छाएँ अपनी-अपनी लालसा से प्रेरित होने से अनन्त हैं। एक पूरी होती है, तो भी वह दुःख देती है, अनेकों को। स्वयं व्यक्ति भी परेशान हो जाता है। परन्तु यहाँ उस जीवन को नरक प्राप्ति का कारण बताया गया है, जो लोभ प्रेरित महेच्छाओं-बड़ी-बड़ी उच्छृखल इच्छाओं से संचालित हो । अतः हमें देखना यह है कि लोभप्रेरित महान् उच्छृखल (अमर्यादित) इच्छाएँ कितने प्रकार की हैं ? उच्छृखल इच्छाओं के मुख्य कितने रूप ? ___ वैसे तो इच्छाओं के अनन्त रूप हैं, किन्तु आत्मिक प्रगति में सीधा अवरोध पैदा करने वाली आसुरी इच्छाएँ मुख्यतया तीन प्रकार की हैं—वित्तषणा, पुत्रषणा और लोकैषणा । क्रमशः ये इच्छाएँ तृष्णा, वासना और अहंता से प्रबल रूप से प्रेरित होने तथा अमर्यादित हो जाने के कारण इन तीन एषणाओं के रूप में परिलक्षित Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004011
Book TitleAnand Pravachan Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1979
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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