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________________ सज्जन होते समय-पारखी १४३ अर्थ है ? पानी चले जाने के बाद पुल वाँधने से क्या लाभ ? जैसे इन चीजों से कोई लाभ नहीं, वैसे ही समय चूक जाने के फिर सावधान होने से क्या हो सकता है ? एक उर्दू शेर में कहा है ___ "वक्त पर कतरा है काफी, अभ्रखुश अंजाम का । जबकि खेती जल गई, बरसा तो फिर क्या हुआ ?।" चौमासे में खेत में बीज बोने के समय अगर थोड़ी-सी वर्षा हो जाये तो वह काफी होती है, किन्तु जब समय बीत जाय, फसल सूखने लगे या खेती जल जाए। फिर पानी बरसे तो उससे नुकसान के सिवाय फायदा कुछ भी नहीं है। कहावत है-वक्त के बोए जवार से मोती नीपजें । ज्योतिषी की पत्नी ने अश्रद्धावश उनके बताए अनुसार ठीक समय पर हांडी में ज्वार पकने के लिए डाले नहीं। किन्तु उसी समय पर पड़ौसी सेठानी ने हांडी में ज्वार डाल दिये, जिससे उसकी हांडी में ज्वार के मोती बन गये और ज्योतिषी की पत्नी की हांडी में ज्वार के ज्वार ही रहे। ___ एक बार अवसर चक जाने पर दूसरी बार नहीं आता। जिंदगी में ऐसे अवसर थोड़े ही आते हैं, उन अवसरों का पारखी व्यक्ति तुरन्त सावधान होकर उनसे लाभ उठाता है। मद्रास प्रान्त के एक छोटे-से स्टेशन पर रेलवे लाइन बदलने वाला एक पोइंटमेन पोइंट के निकट ही खाट डालकर सोया था। उसने एक दिन देखा कि एक ओर से बम्बई मेल आ रहा है, दूसरी ओर से मद्रास मेल । पोइंटमेन लाइन बदलना भूल गया था। जागकर देखा तो आमने-सामने दो गाड़ियाँ आ रही हैं । तुरन्त सोचाअगर लाइन नहीं बदली तो ये दोनों गाड़िया टकराकर चूर-चूर हो जाएँगी। हजारों आदमियों के प्राण चले जायेंगे । अतः ज्यों ही वह खाट से नीचे उतरने लगा कि एक सांप उसके पैर से लिपट गया। सोचा-एक कदम भी आगे बढ़ा तो यह सांप मुझे काट खाएगा, और यहीं मेरी मृत्यु हो जाएगी। परन्तु मेरी जरा-सी असावधानी से हजारों आदमियों के प्राण चले जाएँगे । अतः झटपट लाइन क्लियर करना ही ठीक है। पाईंटमेन ने अपने प्राणों की परवाह किये बिना दोनों गाड़ियों की लाइनें बदल दी। इतने में तो दोनों ओर से अलग-अलग लाइनों पर गाड़ियाँ आ गई । गाड़ियाँ और यात्री सही सलामत निकल गई । सर्प भी गाड़ियों की आवाज सुनकर भाग गया। पॉईंटमेन की इस समयज्ञता के कारण दो गाड़ियों की टक्कर होते-होते बची। यह है समय-पारखी सज्जन के उदार जीवन का उदाहरण । अवसर बार-बार नहीं आता जो लोग अवसरों को नहीं पहिचानते वे अवसर सामने आया हो, फिर भी आँख (विवेक की) मूंद लेते हैं। समय आपका इंतजार नहीं करता, वह तो समय पर आता है और चला जाता है। अगर आपने उसे पहचान कर पकड़ लिया और उससे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004011
Book TitleAnand Pravachan Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1979
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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