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________________ १४४ आनन्द प्रवचन : भाग ८ लाभ उठा लिया तो आपका जीवन सार्थक हो जाएगा, अन्यथा जीवन निष्फल होगा, जिसका बाद में खेद और पश्चात्ताप होगा। पाश्चात्य विचारक स्विफ्ट (Swift) ने समय के लिए एक रूपक दिया है "Time is painted with a lock before, and bald behind signifying that we must take time by the forelock for when it is once passed there is no recalling it." समय एक ऐसा जीव है, जिसके सामने का चेहरा बालों की लट से चित्रित है, और उसकी पीठ पीछे (गुद्दी) का भाग बिल्कुल गंजा हैं। वह यह बता रहा है, कि हमें समय को सामने की ओर से पकड़ना चाहिए, क्योंकि पीठ पीछे से यह पकड़ा नहीं जा सकता; एक बार चले जाने पर इसे वापस बुलाया नहीं जा सकता। योगीराज आनन्दघनजी ने भी आध्यात्मिक जगत् की साधना के लिए अवसर को बड़ा महत्व देते हुए कहा है अवसर बेर बेर नहीं आवे ॥ध्र व ॥ ज्यों जाने त्यों कर ले भलाई, जन्म जन्म सुख पावे ॥१॥ तन, धन, जोबन सबसे झूठा प्राण पलक में जावे ॥२॥ तन छूटे धन कौन काम को ? काहे को कृपण कहावे ?।।३।। जाके दिल में सांच बसत है, ताको झूठ न भावे ॥४॥ 'आनन्दघन' प्रभु चलत पंथ में सुमरि सुमरि गुन गावे ॥५॥ भावार्थ स्पष्ट है । जो व्यक्ति तन, धन, यौवन आदि नाशवान साधनों के भरोसे न रहकर भलाई के अवसरों का सदुपयोग कर लेता है, वह जन्म-जन्म सुख पाता है। एक अंग्रेजी कहावत भी प्रसिद्ध है-'Time and tide wait for none समय और ज्वार किसी की प्रतीक्षा नहीं करते।" समय पर काम न करने के दुष्परिणाम समय पर काम न करने का कितना बुरा परिणाम आता है। उदाहरण दीजिए कर्नल राहल ताश खेल रहा था। तभी वाशिंगटन की सेना आने का पत्र मिला। कर्नल ने उसे तीन मिनट बाद पढ़ा जिससे भारी नुकसान हो गया। नुकसान भारी हो जाता, थोड़ो-सी देरी से । सुधरा सब काम बिगड़ जाता थोड़ी-सी देरी से ॥ ध्रव ॥ बिना गुनाह एक आदमी, फांसी पर चढ जाता। आने के कारण दूत-पत्र थोड़ी-सी देरी से ॥नुक० ॥१॥ मामला लाखों रुपयों का, खारिज हो जाता । जाने के कारण कोर्ट में, थोड़ी-सी देरी से ।।नुक० ॥२॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004011
Book TitleAnand Pravachan Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1979
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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