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सज्जन होते समय पारखी
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इस प्रकार वे जब संस्था के मकान के पास आते, तब दान देने के शुभभाव आते, लेकिन घर जाते ही वह शुभविचार बदल जाता । एक समय में उठा हुआ शुभ विचार दूसरे समय में अशुभ में बदल जाता । समय बीतता चला गया। एक-एक दिन करते हुए छह महीने हो गये, वे दान के अपने शुभविचारों को कार्यान्वित न कर सके । एक दिन सहसा उनकी हृदयगति बन्द हो गई और वे इस संसार से चले
गए ।
बन्धुओं ! मैं आप से पूछता हूँ समय पर सत्कार्य न करने से, शुभभावों को तुरन्त कार्यान्वित न करने से उक्त धनिक को कितनी हानि उठानी पड़ी ! वह अपने इस जीवन में सुखशान्ति नहीं पा सका । आगामी जीवन में क्या उसे अपने अमूल्य जीवन को व्यर्थ खोने और धर्मकार्य न करने का दुष्फल भोगना नहीं पड़ेगा ?
बहुत से लोग कहा करते हैं, हमारे
समय नष्ट करने की भयानक आदत पास समय ही इतना कहाँ है कि हम नष्ट करें या धर्मकार्य के लिए बचाएँ ? परन्तु उन लोगों को यह भान ही नहीं रहता कि हमारा समय कैसे सरपट दौड़ा चला जा रहा है । आप अगर समय को अच्छे काम में नहीं लगाएंगे और व्यर्थ ही सोये या निठल्ले बैठे रहेंगे तो भी वह व्यतीत ( नष्ट ) तो होगा ही, खूबी तो यह है कि समय का क्रमबद्ध उपयोग करें और यह सोचें कि कितना समय मेरा किस कार्य में लग रहा है ? बचे हुए समय का मैं किस प्रकार से उपयोग करता हूँ । अगर वह अपने परिवार, समाज और देश आदि के प्रति कर्तव्यपालन में समय लगाता है, या शेष समय का उपयोग धर्माचरण में करता है, तब तो ठीक, परन्तु अगर ऐसा नहीं करता है तो समय को व्यर्थ नष्ट करने वाला वह व्यक्ति अपने प्रति परिवार, समाज और राष्ट्र आदि के प्रति द्रोह करता है, अपराध करता है, अपने जीवन को बिगाड़ने का । इसीलिए पेरिक्लीज ने एक दफा कहा था – “समय ही सबसे योग्य शिक्षक है । "
समय इसलिए शिक्षक है कि वह मनुष्य को अपने मूक संकेत द्वारा जीवननिर्माण की शिक्षा देता है ।
इस समय तो लोग चौबीसों घन्टे व्यस्त रहते हैं । जिस किसी से धर्माचरण या सत्कार्य के लिए समय निकालने का कह कर देखिए, वह यही कहता सुनाई देगा - 'समय नहीं है ।" वास्तव में देखा जाय तो मनुष्य की जिस काम में रुचि नहीं होती, उस काम को टालने के लिए वह समय न मिलने का बहाना बनाता है । इसका मतलब है— धर्मकार्यों या शुभकार्यों को करने के लिए मनुष्य के पास समय नहीं है | क्या सचमुच वर्तमान मनुष्य के पास समय नहीं रह गया है ?
इस ज्वलन्त प्रश्न पर जरा विचार कर लें - दिनरात में 24 घण्टे होते हैं । एक वयस्क को सोने के लिए 6-7 घन्टे काफी हैं । 8 घन्टे कार्यालय, फेक्टरी, व्यवसाय या नौकरी के लिए रख लीजिए । शेष बचे 9-10 घण्टे । प्रातः एक घन्टे
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