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इहलोक मीठा, परलोक कोणे दिठा ६ आप कह सकते हैं कि हमने तो जकात एक स्थान पर चुका दी अब नहीं देंगे ? ऐसा आप नहीं कह सकते । इसी प्रकार पूर्व के कर्मों को लेकर जब आत्मा इस पृथ्वी पर आती है तो उनके अनुसार उसे सुख या दुःखरूपी फल भोगकर कर्ज चुकाना पड़ता है और जब यहाँ से जाती है तो जितने शुभ या अशुभ कर्म वह माल के रूप में साथ ले चलती है, आगे जाकर उनका भुगतान भी करना पड़ता है । जीव यह नहीं कहता कि कर्मों का सारा कर्ज हम पृथ्वी पर ही चुका आये हैं।
__परिणाम भिन्न-भिन्न क्यों ? ध्यानपूर्वक विचारने की बात तो यह है कि अगर पंचभूतों के मेल से ही देह और चेतना का निर्माण हो जाता है तो फिर संसार में सभी प्राणी एक ही से क्यों नहीं होते ? सारे के सारे पशु या सभी मनुष्य ही क्यों नहीं बनते ? हम देखते हैं कि किसान या माली जो अनाज बोता है, उसी का पौधा उगता है तथा जिस फूल की कलम लगाई जाती है, उसमें वही फूल खिलता है, गेहूँ बोने पर गन्ना या गुलाब लगाने पर मोगरा नहीं उगता। इसी प्रकार सुनते हैं कि वैज्ञानिक लोग जब अनुसंधान करते हैं तो उनके प्रयोगों में जब वस्तुएँ एक दूसरी में मिलाई जाती हैं तो उनका परिणाम या मेल सदा एकसा ही होता है, कभी अलग नहीं हुआ करता ।
तो बंधुओ, पंचभूतों के मेल से भी प्राणी एक-सी देह क्यों नहीं पाता ? जब पाँच द्रव्य वहीं हैं तो एक प्राणी विशालकाय हाथी कैसे बन जाता है और दूसरा सुई की नोक से भी छोटा प्राणी क्यों बनता है ? क्यों संसार में पशु ही पशु, मनुष्य ही मनुष्य अथवा और किसी प्रकार के एक जैसे ही जीव नहीं होते? दूसरे, मनुष्यों को ही अगर हम लें तो वे भी क्या एक-सरीखे होते हैं ? नहीं, किसी में तो इतनी तीव्र बुद्धि होती है कि वह महाविद्वान बन जाता है और किसी के दिमाग में मानों भूसा ही भरा रहता है। कोई असाधारण सौन्दर्य का धनी होता है और कोई जन्म से ही गूंगा, बहरा या अपंग। इसी प्रकार कोई दिन-रात परिश्रम करके भी पेटभर अन्न नहीं जुटा पाता और कोई जन्म से ही ऐश्वर्य की गोद में खेलता है । यह सब क्यों ?
यह इसीलिए कि प्राणी पाँच भूतों से ही निर्मित न होकर अपने पूर्व में कृत शुभाशुभ कर्मों का बोझ अनश्वर आत्मा के साथ लेकर आता है और उसी के कारण भिन्न-भिन्न प्रकार की देह और सुख अथवा दुःख पाता है। जो व्यक्ति इस बात को समझ लेता है वह आगे के लिए सचेत हो जाता है तथा अपने जीवन को धर्ममय, सद्गुण सम्पन्न और त्याग-तप युक्त बनाकर परलोक में साथ ले जाने के लिए शुभ कर्मों का संचय करने लगता है ।
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