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आगलो अगन होवे, आप होजे पाणी
निर्जरा करते हैं । अगर वे ऐसा न कर सकें यानी औरों के अपशब्द सहन न करें और प्रत्युत्तर में क्रोध करें तो कषाय-भाव जाग्रत होगा, आश्रव का कारण बनेगा जो कि संवर का सर्वथा विरोधी होता है इसलिए साधु को क्रोध - कषाय का सर्वथा त्याग करके अपना अहित करने वाले का भी हित करने का प्रयत्न करना चाहिए तथा कड़वे वचनों का भी मीठा उत्तर देकर कर्मों की निर्जरा करनी चाहिए ।
यह बात तो प्रत्येक व्यक्ति को स्मरण रखनी चाहिए कि बुरा करने वाले का बुरा होता है और भला करने वाले का भला । एक हिन्दी के कवि ने कहा हैबन्दगी न भूल बन्दे बन्दगी न भूल रे ! जो कोई तुझ को शूल बोवे ส बो उसको फूल रे । तुझको फूल का फूल मिलेगा उसको शूल का शूल रे !
व्यक्ति को सीख दी है - "अरे
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afa ने अपनी आत्मा का हित चाहने वाले बन्दे ! तू ईश्वर की बन्दगी करना कभी मत भूल सुनता है, शास्त्रों का श्रवण करता है तथा परमात्मा भी किसी अन्य प्राणी का अहित नहीं करता तथा अपना जीवन तप, त्याग एवं संयमम बनाता है । ऐसा व्यक्ति अपना बुरा करने वाले का भी कभी बुरा नहीं करता ।
जो भक्त भक्ति करता है, उपदेश पर आस्था रखता है वह कभी
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कवि भी यही कहता है कि “परमात्मा में विश्वास करने वाले बन्दे ! तू उसकी बन्दगी करना कभी मत भूल और भले ही तेरे लिए कोई संकट रूपी शूलों को बोये किन्तु तू उसके लिए फूलों को ही बो । निश्चय ही कालान्तर में तुझे फूल प्राप्त होंगे और उस अहितकारी को शूल मिलेंगे ।”
व्यक्ति जैसा करता है वैसा ही भरता है । एक फकीर को किसी गृहस्थ ने कड़ाके की सर्दी होने के कारण एक चादर ओढ़ा दी । फकीर ने कहा - "भाई ! तुम्हारे लिए भी ऐसा ही होगा ।" आशय फकीर का यही था कि जिस प्रकार तुमने मेरे दुःख को मिटाने का प्रयत्न किया है, इसी प्रकार भगवान भी तुम्हारे दुःख को दूर करेंगे । फकीर साहब चादर ओढ़कर कुछ आगे बढ़े तो किसी अन्य दुष्ट व्यक्ति ने उनकी चादर खींच ली । फकीर ने शान्त भाव से कहा - "तेरे साथ भी ऐसा ही होगा ।"
इस संसार में दुर्जनों की भी कमी नहीं है । तीर्थक्षेत्रों में जहाँ अनेक भक्त अपने पापों को नष्ट करने आते हैं वहाँ दुष्ट व्यक्ति चोरी करने, बच्चों को उड़ाने और बहू-बेटियों का अपहरण करने की दृष्टि से भी आ जाते हैं । और तो और हमारे यहाँ स्थानक में भी अनेक प्रकार के व्यक्ति आया करते हैं । कुछ तो सरल भाव से आत्म-कल्याण के लिए प्रवचन के सार को ग्रहण करने की अभिलाषा रखते हैं,
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