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पराये दुःख दूबरे वास्तविक तथ्य से अनभिज्ञ प्राणी अपने से भिन्न प्राणियों को अपने सुख-दुःख का कारण मान बैठते हैं और उन पर राग या द्वेष करते हैं। वे यह नहीं समझते कि अपने सुख-दुःख का सृष्टा तो मैं ही हूँ। मेरे पूर्वोपार्जित कर्मों के कारण ही कोई व्यक्ति निमित्त बन गया है । और अगर वह न बनता तो कोई दूसरा निमित्त बन जाता।
अभिप्राय यही है कि आत्मा स्वयं ही कर्म-बन्धन करता है और निश्चय ही वही भोगता है । ज्ञानी पुरुष यही विचार कर पूर्ण सम-भाव से कष्टों को सहन करते हैं और इस प्रकार से भविष्य में अशुभ कर्मों के बन्ध से बच जाते हैं।
प्रत्येक प्राणी को ऐसा ही विचार कर अपने दुर्लभ मानव-जन्म को सार्थक करने के लिए विवेक से काम लेना चाहिए तथा अनन्त काल से घोर दुःख और नाना प्रकार की जो यातनाएं आत्मा भोगती आ रही है, उसे इनसे छुटकारा दिलाने का प्रयत्न करना चाहिए। एक कवि ने भी यही कहा है
कब तलक सोते रहोगे इस गजब की नींद में, मुद्दतें तो आपको रंजोगम खाते हो गया। फिर भी नफरत न हुई तुमको इस टेढ़ी चाल से,
सैकड़ों बरस तुमको सदमे उठाते हो गये। सरल भाषा में ही कहा गया है कि- "बन्धुओ, अब सोने का वक्त नहीं है। अनन्त काल से इस प्रमाद रूपी गजब की निद्रा में तो तुम सोते ही रहे हो और इसके फलस्वरूप अनन्त दुःख पाते रहे हो । पर अब जबकि तुमने मनुष्य की सर्वोत्कृष्ट योनि प्राप्त की है और विशिष्ट विवेकबुद्धि और ज्ञान के अधिकारी बन गये हो तो अपनी अब तक की उलटी चाल को छोड़ दो और होश में आकर अपना मार्ग बदलो।"
___अभी मैंने बताया था कि अंगूर के बगीचे के सतर्क मालिक ने अपने पड़ोसी के बगीचे को नष्ट होते हुए देखा तो तरस खाकर उसमें घुसे हुए गधे को निकालकर बाहर कर दिया। इसी प्रकार हम साधु हैं और आप श्रावक । दोनों ही पड़ोसी हैं। फर्क इतना ही है कि आप अपने आध्यात्मिक बगीचे की ओर से लापरवाह हैं इसीलिए हमारे हृदय में आपकी हानि होती हुई देखकर उथल-पुथल मच रही है। फलस्वरूप हम आपको बार-बार समझाने का प्रयत्न करते हैं तथा आपकी दृष्टि को भौतिक सुखों की ओर से हटाकर आध्यात्मिक सुखों की ओर मोड़ना चाहते हैं । आप सोचेंगे हम सेठ-साहूकार हैं, मिलों और फैक्टरियों के मालिक हैं अथवा सैकड़ों बीघे जमीन और मकानों के स्वामी हैं, फिर किस बात की चिन्ता है ?
पर भाइयो ! यह तो आप यहाँ पर हैं । परलोक में आप कुछ भी नहीं रहेंगे। चन्द दिनों की इस जिन्दगी के समाप्त होने पर केवल आपकी आत्मा होगी और साथ
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