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________________ ३१० आनन्द प्रवचन | छठा भाग अर्थात्-पुत्र के अभाव में घर सूना लगता है और भाई के अभाव में सारी दिशाएँ सूनी दिखाई देती हैं । आगे कहा है-जिस व्यक्ति को दिमाग नहीं होता अर्थात् भले-बुरे का जिसे ज्ञान नहीं होता, ऐसे मूर्ख का हृदय ही मानों शून्य होता है और उस व्यक्ति के लिए तो सभी कुछ सूना होता है, जिसके यहाँ घोर दरिद्रता निवास करती है। तो मैं आपको बता यह रहा था कि राजा की पांचों रानियों में से किसी के भी सन्तान नहीं थी अतः राजा बड़े दुखी रहते थे। किन्तु कुछ समय पश्चात् धर्मपरायणा छोटी रानी कलावती गर्भवती हुई और राजा की खुशी का पारावार ही नहीं रहा। पर इधर जब अन्य रानियों को कलावती के गर्भवती होने का समाचार मिला तो उनके कलेजे पर मानों साँप लोट गया। लीलावती ईर्ष्या के मारे अंधी हो गई और हिताहितशून्य होकर उसने कलावती को मार डालने का निश्चय कर लिया। वह सोचने लगी-.'राजा पहले ही हमें कम पूछते हैं और कलावती के जब सन्तान हो जायेगी तो फिर हम तो घी में पड़ी हुई मक्खी के समान त्याज्या-सी हो जायेंगी। लीलावती ने नाना प्रकार के षड्यंत्र रचने शुरू कर दिये तथा तंत्र-मंत्र आदि के द्वारा कलावती को मार डालने का प्रयत्न किया किन्तु जो प्राणी धर्म का आधार ग्रहण करता है, धर्म उसकी रक्षा अवश्य करता है। जैसा कि उत्तराध्ययन सूत्र में कहा गया है एको हि धम्मो नरदेव ताणं । न विज्जइ अन्नमिहेह किंचि ॥ -अध्ययन १४-४. अर्थात्-"राजन् ! एक धर्म ही रक्षा करने वाला है, उसके सिवाय विश्व में मनुष्य का अन्य कोई त्राता नहीं है ।" तो कलावती भी अपने धर्म के प्रभाव से बच गई और लाख मंत्र-तंत्र करने पर भी उसका बाल-बाँका नहीं हो सका। फिर भी लीलावती ने अपना प्रयत्न नहीं छोड़ा और अन्त में कालकूट विष देकर अपनी सौत को समाप्त करने का विचार किया। उसने एक मधुर आम मँगवाया और उसमें विष डालकर दासी के साथ कलावती को भेजकर कहलवाया-"आप इस समय गर्भवती हैं और ऐसे समय में नित्य नवीन चीजों को खाने की इच्छा होती है, अतः यह आम खाकर अपनी बहन की इच्छा का आदर करना।" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004009
Book TitleAnand Pravachan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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