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आनन्द प्रवचन | छठा भाग
साधारणतया हम देखते हैं कि दीन-दरिद्र, मजदूर, भिखारी या सेवक आदि धन एवं अन्य प्रकार के बलों से रहित होने के कारण अमीरों की तथा सत्ताधारियों की गालियाँ, कटु वचन एवं मार-पीट आदि भी मन मार कर सह लेते हैं, बदले में उनकी कुछ भी कहने या करने की हिम्मत नहीं होती । वे सत्ता और प्रभुता के अभाव अपना आत्मिक बल भी खो बैठते हैं ।
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किन्तु जो प्रभुता-सम्पन्न व्यक्ति होते हैं वे कभी किसी के दुर्वचन या अपने गौरव को ठेस लगाने वाले शब्द सुनकर चुप नहीं रह सकते । वे ईंट का जबाव पत्थर से देने के लिए तैयार रहते हैं। इतना ही नहीं, ऐसे व्यक्ति साधारण या न कुछ सी बात पर भी उबल पडते हैं । अगर हम इतिहास को उठाकर देखें तो पता चल सकता है कि प्राचीनकाल में तो राजा लोग कटु वचन कहने वाले की जीभ ही कटवा देते थे या चोरी करने वाले के हाथ कटवा डालते थे । वे लोग तनिक से अपराध का भी बड़ा कठिन दण्ड अपने सत्ताधीश होने के कारण अपराधी को दिया करते थे । बादशाह को समझ कैसे आई ?
मैं कहीं पढ़ा था कि एक बार किसी बादशाह की दासी ने उनके शयन करने के लिए जैसा कि वह प्रतिदिन किया करती थी, फलों की कलियाँ चुन-चुनकर शैय्या बिछाई । बादशाह के आने में तो काफी समय था अतः उस दिन दासी की बड़ी प्रबल इच्छा हुई कि ऐसी सुकोमल शैय्या पर कितना आराम शरीर को मिलता होगा, जरा मैं भी अनुभव करूँ ।
दो-चार मिनिट के लिए लेट गई । पर
अपनी आकांक्षा को न दबा पाने के कारण दासी केवल लिए शैय्या पर कैसा आराम मिलता है यह अनुभव करने के बेचारी सेविका, जिसे नर्म, सुकोमल तथा सुगन्धित शैय्या तो क्या धरती पर बिछाने के लिए पूरा बिछौना भी नहीं मिलता था, दुर्भाग्यवश जो उस शैय्या पर लेटी तो दो-चार मिनिट में ही गहरी निद्रा में निमग्न हो गई ।
इधर बादशाह समय होते ही अपने शयनगृह में आए, पर यह देखते ही कि दासी उनकी शैय्या पर सोई हुई है, वे आगबबूला हो गये और आपे में न रहे । उसी क्षण हन्टर उठाकर उन्होंने दासी पर बरसाने प्रारम्भ कर दिये । प्रभुता - सम्पन्न एवं सत्ताधारी होने के कारण उनके हृदय में तनिक भी विचार नहीं आया कि इस दीन सेविका की इच्छा फूलों से सुवासित इस शैय्या पर सोने की आज हो भी गई तो क्या हो गया ? प्रत्येक मनुष्य हृदय में नाना प्रकार की इच्छाएँ तो होती ही हैं, यह भी मानव है और आज यह अपनी इच्छा को न दबा पाने के कारण ही इस शैय्या पर लेट गई है । हन्टर बरसते रहे और दासी अपने तनिक से अपराध के कारण मार खाती रही ।
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