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यह चाम चमार के काम को नाहिं
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आज धर्म को लेकर आपस में झगड़ रहा है, सम्प्रदाय को लेकर एक-दूसरे की धज्जियाँ उड़ाने के प्रयत्न में लगा हुआ है। पद-लोलुपता के कारण रिश्वत देकर अनेकों व्यक्तिवों को खरीद लेता है, वह पैसे के बल पर नाना अनैतिक कार्यों को करता चला जाता है । इन सबका परिणाम भयंकर फूट या कलह के रूप में जनता के सामने आता है। इसलिए आपको चाहिए कि आप लोग संगठित होकर इन समाज-विरोधी कार्यों के विरुद्ध आवाज उठाएँ, गलत मार्ग पर चलने वाले लोगों को समझाएँ तथा संगठित होकर उस प्रत्येक कार्य को करने का बीड़ा उठायें जो सामाजिक वैमनस्य को मिटाता है ।
जब तक यह आपसी वैमनस्य नहीं मिट जाता है तब तक आप लोग समाजोपयोगी कार्यों को करने में सक्षम नहीं बन सकते । क्योंकि जब तक आपसी कलह में आपका समय और पैसा बर्बाद होता रहेगा तब तक समाजोपयोगी कार्यों के लिए आप समय कैसे निकालेंगे ?
आज समाज के रोगों को मिटाने के लिए तथा इसमें शांति की स्थापना करते हुए इसे उन्नत बनाने में कितनी शक्ति की आवश्यकता है ? हमारी नई पीढ़ी के बालकों को जो कि समाज के भावी कर्णधार हैं, कितने सुसंस्कृत और सभ्य बनाना है ? महावीर के सिद्धांतों का प्रचार करके सच्चा धर्म क्या है, इसको जनमानस में स्थापित करना कितना आवश्यक है ? पर यह सब हो कसे ? तभी तो हो सकता है जबकि आप लोग धर्म, सम्प्रदाय एवं अपनी श्रीमंताई का झूठा अभिमान त्यागकर एक हो जाएँ और अपना समय एवं शक्ति इस ओर लगायें ।
हो सकता है, आप यह विचार करें कि यही सब करने से क्या हमारी आत्मा का कल्याण हो जाएगा ? बंधुओ ! आत्म-कल्याण के लिए तो स्वयं साधना करनी पड़ेगी किन्तु क्या हमारा यह कर्तव्य नहीं है कि हम अन्य पथभ्रष्ट प्राणियों को भी मार्गदर्शन करें। समाज के एवं देश के दीन-दरिद्र अथवा दुखी व्यक्तियों की सेवा एवं सहायता करने से भी तो असंख्य कर्मों की निर्जरा होती है। अन्यथा भगवान महावीर कैसे फरमाते
मित्ति मे सव्व भूएसु, वैर मज्झं न केणई । यानि-पृथ्वी के समस्त प्राणियों के साथ मेरी मित्रता है, किसी के साथ भी वैर-विरोध नहीं है।
कितनी सुन्दर एवं आत्मोत्थान करने वाली भावना है ? अगर यही भावना समाज के प्रत्येक सदस्य के मानस में स्थान करले तो क्या एक भी प्राणी दुखी रह सकता है ? नहीं, ऐसा करने पर ही भगवान के सिद्धांतों का सच्चे अर्थों में प्रचार हो सकता है तथा प्रत्येक प्राणी के हृदय में धर्म अपने शुद्ध रूप में स्थापित हो सकता है।
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