________________
समाज बनाम शरीर
१६१ शायर ने उपकार का कितना बड़ा महत्व बताया है ? कहा है-जिस व्यक्ति ने हम पर थोड़ा-सा भी एहसान किया है, मानो हमारे मस्तक पर बड़ा भारी बोझ रख दिया है । ऐसा लगता है कि सिर पर से हटाया तो उपकार के रूप में एक तिनका है किन्तु उसके बदले एहसान का बड़ा भारी वजनी छप्पर लाद दिया है।
कहने का आशय यही है कि जो व्यक्ति अन्य व्यक्ति की सहायता करता है, समाज की सेवा करता है और धर्म का प्रचार करता है, वह इस लोक में तो यश का भागी बनता ही है. परलोक में जाकर भी अपने जीवन का लाभ उठा लेता है। इसलिये मानव को अपने जीवन का महत्व समझते हुए सदा अपनी आत्मा के कल्याण के लिए तथा औरों की आत्मा को भी सही मार्ग पर लाने का प्रयत्न करते रहना चाहिए।
ऐसा करने पर ही मानव-जन्म सार्थक हो सकेगा तथा इसका पूरा-पूरा लाभ उठाया जा सकेगा। कोई भी व्यक्ति चाहे वह श्रावक हो या साधु हो, उसे अपने जीवन के लक्ष्य को नहीं भूलना चाहिए। और वह लक्ष्य तभी प्राप्त हो सकता है जब कि आत्मा को आश्रव की ओर से हटाकर संवर में लाया जाय । संवर वह मार्ग है, जिस पर चलकर आत्मा कर्मों के नवीन बन्धन से बचती है तथा पूर्वकृत कर्मों की निर्जरा करती हुई उत्तरोत्तर सिद्धि की ओर बढ़ती है। अतएव संवर के भेदों को भली प्रकार समझते हुए प्रत्येक मुमुक्षु को उसका आराधन करना चाहिए। तभी आत्म-कल्याण हो सकेगा।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org