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आनन्द प्रवचन | छठा भाग कसौटी में खरा कौन उतरा ?
___ कहा जाता है कि एकबार अनेक ऋषियों ने एकत्रित होकर विचार किया कि ब्रह्म, विष्णु और महेश, इन तीनों की परीक्षा लेकर देखा जाए कि उनमें कौन सर्वश्रेष्ठ एवं महान है।
___ अब समस्या यह उठी कि इनकी परीक्षा कैसे ली जाय और कौन इन बड़े-बड़े देवों के सन्मुख जाए ? अन्त में बड़े विचार-विमर्श के बाद यह तय हुआ कि यह कार्य ऋषिश्रेष्ठ भृगु को सौंपा जाय और वे ही अपनी इच्छानुसार सबकी परीक्षा लें।
महर्षि भृगु ने समस्त ऋषियों के आग्रह को स्वीकार किया और वहाँ से चल पड़े । सर्वप्रथम वे ब्रह्मा के समीप पहुँचे । ब्रह्माजी उस समय वेदों का विवेचन कर रहे थे । भृगु ऋषि उनके निकट जा पहुँचे पर बिना किसी सम्मान का प्रदर्शन किये अशिष्ट ढंग से उनकी बगल में जा बैठे।
यह देखकर ब्रह्मा जी को बड़ा बुरा लगा कि एक ऋषि इस प्रकार बिना उन्हें सम्मान दिये उनके समीप आकर बैठ जाये । उन्होंने वेदों पर उपदेश देना बन्द कर दिया और भृगु जी को बुरा-भला कहना आरम्भ किया। भृगु ऋषि हँसते हुए ब्रह्मा जी की गालियाँ और कटु वचन सुनते रहे और कुछ समय पश्चात् अपनी परीक्षा का प्रथम भाग समाप्त समझ कर वहाँ से चल दिये ।
ब्रह्मा जी के पास से उठकर महर्षि शिवजी के निवास-स्थान पर गये । शिवजी उस समय पार्वती के साथ क्रीड़ा कर रहे थे। भृगु ऋषि ने यहाँ भी अशिष्टता बताई। परिणामस्वरूप शिवजी क्रोध से आग-बबूला हो गये । वे भी भृगु जी को मार डालते पर पार्वती ने बीच-बचाव करके उन्हें छुड़ा दिया। भृगु ऋषि वहाँ से जान लेकर मागे । परीक्षा उन्हें बड़ी मँहगी पड़ रही थी। किन्तु अब एक ही भाग उसका बच रहा था, अतः उसे भी पूरा करने का निश्चय किया ।
अब वे विष्णुजी के यहाँ गये । विष्णु उस समय शेष शैय्या पर निद्रा ले रहे थे। उन्हें सोये हुए देखकर भृगु जी कपट-क्रोध से आग-बबूला हो गये और मन ही मन में डरते हुए ऊपर से साहस करके उन्होंने विष्णु की छाती में लात मार दी।
विष्णु पैर के प्रहार से चौंक पड़े और आँखें खोली तो पाया कि सामने भृगु ऋषि खड़े हैं । वे एकदम उठे और भृगु के चरण पकड़ कर सहलाते हुए बोले
___ "भगवन मेरे कठोर सीने से टकराने पर आपके चरणों में कष्ट पहुँचा होगा। मैं अपनी मूल और अशिष्टता के लिए आपसे क्षमा माँगता हूँ।" ।
भृगु ऋषि विष्णु का व्यवहार देखकर गद्गद् हो गए और उन्हें उठाकर अपने गले से लगा लिया। उनकी परीक्षा समाप्त हो चुकी थी और विष्णु उसमें खरे उतर चुके थे।
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