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तीन लोक की सम्पदा रही शील में आन
है। नारियों के बल पर ही आज धर्म टिका हुआ है और उन्होंने संसार को अनेकों अमूल्य रत्न दिये हैं।
गांधी जी को माता ने उनमें ऐसे संस्कार डाले थे कि आज संसार के समस्त देश उन्हें आदर और सम्मान देते हैं । क्योंकि अहिंसा के बल पर ही उन्होंने भारत को आजाद करा दिया था और अहिंसा, सत्य एवं संयम का महत्व उन्होंने अपने जीवन में उतारा था । जीजाबाई ने शिवाजी में शूरवीरता इस प्रकार कूट-कूटकर भर दी थी कि उन्होंने मुगलों को नाकों चने चबवा दिये । इसीप्रकार अनेकों उदाहरण हैं किन्तु उन्हें कहने का अधिक समय नहीं है ।
..कहना यही है कि नारी अपने आपमें एक पवित्र ज्योति है जो अपने पति को, पुत्र को व परिवार के सभी प्राणियों को मार्ग-दर्शन कर सकती है। ....एक पाश्चात्य विद्वान 'लावेल' ने कहा है_ 'Earth's noblest thing a woman perfected.'
-साध्वी स्त्री संसार की सर्वोत्तम वस्तु है। आचार्य मनु तो यहाँ तक कहते हैं
'यत्र नार्यस्तु पूज्यते, रमन्ते तत्र देवताः ।' -जिस घर में स्त्रियों की पूजा होती है उस घर में देवता अवश्यमेव रमण करते है।
वस्तुतः जिस घर में सद्गुण सम्पन्न नारी सुखपूर्वक निवास करती है वहां लक्ष्मी रहती है तथा सदैव शांति का वातावरण रहता है।
अब नहीं जाऊंगी कहते हैं कि एक सेठ को एक दिन स्वप्न में लक्ष्मी ने आकर कहा- “मैं कल से तुम्हारा घर छोड़ रही हूँ, इसका क्या प्रभाव तुम्हारे परिवार पर पड़ेगा यह कल इसी समय रात्रि को मुझे बताना।"
बेचारे सेठजी घबरा गये और जब वे सुबह उठे तो अत्यन्त चिन्तित और गमगीन थे। न उन्होंने प्रातःकाल नाश्ता किया और न ही भरपेट भोजन कर सके ।
यह देखकर उनकी पत्नी, चारों पुत्र और पुत्रवधुए', सभी बड़े हैरान हुए। वे सोचने लगे-सेठजी की उदासी का ऐसा कौन सा कारण हो सकता है ! सभी कुछ तो यथावत है, व्यापार आदि के घाटे की भी सूचना नहीं है। फिर आखिर बात क्या है ?
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