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आनन्द प्रवचन | पांचवां भाग
यह बोध नहीं होगा हम सही मार्ग पर चलेंगे भी कैसे ? अतः स्वाध्याय की आदत प्रत्येक मनुष्य की होनी चाहिये ताकि वह अपने जीवन को सर्वश्रेष्ठ तरीके से बिताता हुआ आत्म-कल्याण करने में समर्थ बन सके ।
बंधुओ, आशा है कि आप कर्म-रत रहना, आत्म-विश्वास रखना, स्वावलंबी बनना एवं स्वाध्याय करना, इन चारों महत्वपूर्ण बातों के विषय में जान गए होंगे। ये चारों ही सूत्र मनुष्य के जीवन को सफल बनाने में पूर्णतया सहायक बनते हैं। अगर आप इन्हें जीवन में उतारेंगे तो निश्चय ही इस लोक और परलोक में सुखी बन सकेंगे।
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