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सच्चे सुख का रहस्य
धर्मप्रेमी बंधुओ, माताओ एवं बहनो !
आज हमें यह देखना कि सच्चा सुख कौनसा है ? उसका उद्गम कहाँ है और उसकी प्राप्ति कैसे हो सकती है ?
हम क्या देखते हैं ? इस विराट विश्व में हम देखते हैं कि मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी तथा छोटे से छोटे कीट पंतग भी सुख-प्राप्ति की इच्छा रखते हैं तथा उसके लिए अपनी शक्ति के अनुसार दौड़-धूप करते रहते हैं । सभी को सुखप्रिय है और दुःख अप्रिय, अतः सुख को प्राप्त करना और दुख से बचना चाहते हैं ।
फिर भी महान आश्चर्य की बात है कि कोई भी प्राणी अपने आपको सूखी अनुभव नहीं करता । सभी अपनी स्थिति से असन्तुष्ट रहते हैं। किसी को पुत्र का अभाव पीड़ित कर रहा है, कोई धनाभाव से दुखी हो रहा है, कोई रोगों के फंदे में जकड़ा हुआ है, किसी को पारिवारिक क्लेश सता रहा है, किसी के पास मकान नहीं है, किसी को व्यापार में घाटा हो रहा है और कोई कन्या के विवाह के लिए चिन्तित हो रहा है। इस प्रकार जिधर देखो और जिस व्यक्ति को देखो; वही किसी न किसी प्रकार के दुःख, शोक, चिन्ता, व्याकूलता तथा व्याधि आदि के कारण अशांत और दुखी दिखाई देता है। ___संसार की ऐसी स्थिति के कारण जिज्ञासु व्यक्तियों के अंतःकरण में यह जानने की इच्छा बलवती होतो है कि आखिर कारण क्या है, जिससे प्राणी सुख की अभिलाषा रखते हुए तथा सुख के लिए प्रयत्न करते हुए भी सुख को हासिल नहीं कर पाता?
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