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निर्गुणी को क्या उपमा दी जाय ?
धर्मप्रेमी बन्धुओ, माताओ एवं बहनो !
आज हमें इस बात पर विचार करना है कि मनुष्य जीवन कितना महत्त्व पूर्ण है, और कैसे व्यक्ति इस महिमामय जीवन का भी लाभ न उठाकर इसे निरर्थक खो देते हैं ?
मानव जीवन की दुर्लभता इस संसार में लाखों प्रकार के प्राणी हैं जो चौरासी लाख योनियों में बंटे हुए हैं । चौरासी लाख की संख्या छोटी नहीं है। इस पर शीघ्रता से विश्वास भी नहीं किया जा सकता। किन्तु दीर्घ दृष्टि से देखा जाय तो इस संख्या के लिये आश्चर्य भी नहीं होता। क्योंकि हम अपनी आंखों से भी न जाने कितनी प्रकार के जीव-जन्तुओं को देखते हैं। उनमें से अनेक आकाशगामी हैं, अनेक भूमि पर विचरण करने वाले, और अनेकों जल में अपनी जिन्दगी बिताते हैं। वर्षा काल में असंख्य प्रकार के कीड़े, मकोड़े, मक्खी, मच्छर, पतिंगे तथा डांस आदि जीवों से भूमि पट जाती है। इसके अलावा केवल पृथ्वी पर ही सारा संसार सीमित नहीं है, अपितु इसके ऊपर स्वर्ग और नीचे नरक भी है । अनन्तानन्त तिर्यंच जीव भी यहाँ निवास करते हैं ।
इस प्रकार विचार करने पर हमारी समझ में सहज ही आ जाता है कि इस जीव-जगत का प्रकार कितना अधिक और जीवों की चौरासी लाख योनियां होना भी कोई बड़ी बात नहीं है। ___ तो अब मैं यह बताने जा रहा हूं कि इस संसार में जो लाखों प्रकार के प्राणी हैं उनमें से एक प्रकार का प्राणी मनुष्य भी है और वह अन्य समस्त प्राणियों से श्रेष्ठ है। यह इसलिये कि मनुष्य में अन्य समस्त प्राणियों की
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