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मोक्ष का द्वार कैसे ख लेगा?
धर्मप्रेमी बंधुओ, माताओ एवं बहनो !
संत महापुरुषों का कथन है-'इस जीवात्मा को परमात्म पद में लीन हो जाने पर ही परम शांति प्राप्त होती है।' किन्तु परमात्म पद में विलीन कैसे हुआ जाय ? क्या हमारे चाहने से, विचार करने से और बार-बार जबान से कहने से ही ऐसा संभव हो सकता है ? नहीं। इस महान इच्छा की पूर्ति करने के लिये सर्वप्रथम हमें सद्गुणों को अपनाना पड़ेगा। इनके अभाव में परमात्म पद की प्राप्ति होना भी असंभव है। आत्मा को परमात्मा और उसके पश्चात् परमात्मा के पद पर पहुंचाने के लिये सबसे पहला सोपान सद्गुणों का होना ही है। __ एक पाश्चात्य कवि 'चिलो' ने सद्गुणों का यथार्थ महत्व बड़े सुन्दर शब्दों में बताया है। कहा हैं
"Virtue maketh men on the earth famous, in their graves illustrious, in the heavens imromrtal.” ____ अर्थात्-सद्गुण पृथ्वी पर मनुष्य को प्रसिद्धि प्रदान करता है, कब्र में प्रख्यात कर देता है और स्वर्ग में अमर बना देता है ।
वास्तव में ही सद्गुणों में ऐसी महान् शक्ति होती है । हम देखते हैं कि पुष्पों की सुगंध बड़ी तेजी से पवन द्वारा दूर-दूर तक पहुंच जाती है, किन्तु जबकि पुष्पों की सुगंध पवन के विपरीत नहीं जाती अर्थात् जिस दिशा की ओर पवन बहता है उसी दिशा में जाती है, वहाँ सद्गुणों की सौरभ अविलम्ब समस्त दिशाओं में व्याप्त हो जाती है। इसलिये अगर व्यक्ति को उन्नत बनना है, तो उसे सर्वप्रथम आत्मा से सद्गुणों का संचय करना होगा।
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