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३४८: विजयादसमी को धर्ममय बनाओ !
सुमति रूपी सीता को मर्यादा पुरुषोत्तम धर्म रूपी राम ने पुनः प्राप्त कर लिया । अब सवाल है--धर्म राजा राज्य कहां करेगा ? वहीं जहाँ मुक्ति रूपी अयोध्या है। जहाँ धर्म राजा राज्य करते हैं वहाँ जन्म-मरण का समस्त दुःख मिट जाता है । राम के पास सच्चाई थी, नीति थी, न्याय था और धर्म था इसलिए आज भी हम उन्हें याद करते हैं जबकि लाखों वर्ष व्यतीत हो गये हैं। पर रावण ने अधर्म और अनीति से काम लिया था जिसके कारण आज तक लोग नफरत से उसका नाम लेते हैं और बनावटी पुतला बनाकर जलाते हैं।
बन्धुओ, अगर आप इस रामायण का आध्यात्मिक दृष्टि से चिन्तन करेंगे तो आपके आत्मा का भी कल्याण होगा । धर्म की सदा जय होती है और अधर्म की पराजय । आपको भी धर्म का पक्ष लेना है, धर्म की आराधना करनी है । अगर धर्म पर आप पूर्ण श्रद्धा रखते हैं तो यह रामायण आपकी आत्मा को उन्नत बनाने में सहायक बनेगी।
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