SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 353
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८ विजयादसमी को धर्ममय बनाओ! धर्म प्रेमी बन्धुओ, माताओ एवं बहनो ! आज विजयादशमी का विशिष्ट दिन है । वैसे तो प्रत्येक तिथि एक महीने में दो बार आती है, दसमी भी उसी प्रकार आती जाती रहती है। किन्तु आज की इस तिथि से पहले 'विजय' शब्द लगाया जाता है और इस विशेष शब्द का प्रयोग एक वर्ष में एक बार ही इस तिथि के लिये किया जाता है । इसका कारण आप सभी जानते हैं कि आज के दिन धर्मावतार रामचन्द्रजी ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। यद्यपि रावण के पास अपार दौलत, असीम शक्ति तथा बड़ा भारी सैन्यबल था तथा रामचन्द्रजी से मुकाबला करने के लिये अनेक प्रकार के साधन मौजूद थे। राम के पास यह सब कुछ नहीं था किन्तु धर्म, न्याय, नीति और मर्यादा पालन की भावना का जबदस्त बल था। उस बल के कारण ही राम ने वनवासी होते हुए भी सोने की लंका के स्वामी महाबली रावण पर इसी विजयादशमी को विजय प्राप्त की थी। आध्यात्मिक दृष्टि से विजयादशमी कैसे मनाई जाय ? महर्षि वाल्मीकि ने और महाकवि सन्त तुलसीदासजी ने विशाल रामायण की रचना की है, जो आज संसार के महत्वपूर्ण ग्रन्थों में गिनी जाती है तथा घर-घर में उसका प्रतिदिन पाठ किया जाता है। प्रत्येक म नव उस ग्रन्थ से चाहे तो अनेक शिक्षाएँ ले सकता है । महापुरुषों का सम्पूर्ण जीवन ही शिक्षाप्रद होता है। हमारे कविकुल भूषण पूज्यपाद श्रीतिलोक ऋषि जी महाराज ने भी अपने दस वाक्यों में रामायण से लिये जाने वाले ज्ञान को गागर में सागरवत् भर दिया है । सर्वप्रथम उन्होने कहा है : Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004006
Book TitleAnand Pravachan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1983
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy