SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दीप से दीप जलाओ धर्मप्रेमी बन्धुओ, माताओ एवं बहनो, हमारा विषय ज्ञान-प्राप्ति के ग्यारह कारणों को लेकर चल रहा है । कल हमने इनमें से नवें कारण 'स्वाध्याय' पर स्पष्टीकरण किया था और आज दसवे कारण पर विवेचन करना है। ज्ञान-प्राप्ति का दसवाँ कारण है-ज्ञानवंत के पास रहकर ज्ञान हासिल करना । यह बात अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है। अगर किसी ज्ञ न प्राप्ति के इच्छुक को ज्ञानवंत का समागम नहीं हुआ और वह अनुपयुक्त व्यक्ति के पास ज्ञानप्राप्ति की इच्छा से पहुंच गया तो उसे लाभ के बदले घोर हानि उठानी पड़ेगी। इसलिये ज्ञान-प्राप्ति के ग्यारह कारणों को जोर देकर यह कारण बताया गया है कि ज्ञानवंत के समीप रहकर ही ज्ञान प्राप्त करें। प्रज्वलित दीपक से ही दीपक जलता है, बुझे दीपक के पास हजारों दीपक पड़े रहें तब भी प्रकाश नहीं मिलता। आज के ज्ञानदाता आधुनिक युग में तो हमें कदम-कदम पर ज्ञानदाताओं की प्राप्ति होती है। ज्ञान के नाम पर शिक्षा देने वालों की आज तनिक भी कमी नहीं है। स्कूलों और कालेजों में शिक्षा देने वाले सभी अपने आपको ज्ञानदाता ही मानते हैं। किन्तु ज्ञान के नाम पर विभिन्न विषयों को रटाकर विश्वविद्यालयों की डिगरियां दिलवा देना ही क्या ज्ञान लाभ करना कहलाता है ? जिन कतिपय प्रकार की जानकारियों को प्राप्त कर ऊँची-ऊँची नौकरियां मिल भी जाती हैं और अधिक से अधिक तनख्वाह मिलने लगती है क्या उसे ही ज्ञान हासिल करना कहा जा सकता है ? नहीं, अगर ज्ञान प्राप्त करके भी मानव सच्चा मानव नहीं बन सका, उसमें आत्म विश्वास उत्पन्न नहीं हो सका उसके अन्दर छिपी हुई महान् शक्तियाँ जागृत नहीं हो सकी तथा उसका चरित्र सर्वगुण सम्पन्न नहीं बन सका तो वह अनेक विधाओं का ज्ञाता और अनेक भाषाओं का जानकार विद्वान भी ज्ञानी नहीं कहला सकता। एक कवि ने बड़े सुन्दर ढंग से यही बात कही है: Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004006
Book TitleAnand Pravachan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1983
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy