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भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त कथानक
[ २३ ] Marriage of Swamini with King of Valabhi. On their request her Gurus (Acāryas) accept
wearing white clothes.
सोरठि वलहीपुर-परमेसें सा परिणी पुणु तेण विसेसें। ताई सगुरु भासिवि आणाविय णिय भत्तारहु पुणु जाणाविय । अद्धपंथि गय सम्मुह जामहिँ राएँ पिययम भासिउ तामहि । कंवल-दंड-धारि मुंडिय-सिर ए गोपालवेस दीसहिँ किर। 5 णउ णग्गा णउ पहिरिय वत्था एयह वंदण पिए अपसत्था ।
ता राणी सुब्भई वरवत्थई तह जि दिण्णयाइँ सुपसत्थई। पवर महुच्छे पुरि परिसारिय विहिय पहावण जणमणहारिय। सेयंवर-मउ तइया होतउ संजायउ जणि मायावंतउ ।
सामिणि राणिहिँ गम्भि उवण्णी जक्खिल णाम पुत्ति गुणपुण्णी । 10 सा परिणिय करहाडपुरेसें रू जि जित्तउ कामु विसेसें।
ताइवि णियगुरु तहिं बुल्लाविय पइसउ सम्मुहँ गय अणुराइय । ताह वेसु पेच्छेप्पिणु राएँ राणी भासिय पवरविवेएँ। ए पासंड रूवधर दीसहिँ कंवल ढंकिय सिर तियवेसहिं।
घत्तामा महु पुरि पइसहु गय तव-लेसहु एम भणिवि गउ राउ-घरि । ता राणी वुत्तउ ताहँ णिरुत्तउ तुम्ह पवेसु ण इत्थु पुरि ॥२३॥
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