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________________ भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त कथानक २८१ कसाय (कषाय)-जैनदर्शन के अनुसार कषाय वह है जो आत्मा को कलुषित करे। वे चार प्रकार की हैं-क्रोध, मान, माया एवं लोभ । इन कषायों की शक्ति बड़ी विचित्र मानी गयी है । कभी-कभी तीव्र कषाय के कारण आत्मा के प्रदेश शरीर से बाहर निकल अपने शत्रु का घात तक कर डालते हैं । इस क्रिया को “कषाय-समुद्घात" कहा गया है। २८।११ मुणि जसकित्ति (मुनि यश कीर्ति)-कठोर साधक होने के कारण यशःकीर्ति को मुनि कहा गया है। वस्तुतः वे भट्टारक थे। कवि रइधू ने अपनी अनेक रचनाओं में इन्हें अपने गुरु के रूप में स्मरण किया है। वे काष्ठासंघ, माथुरगच्छ को पुष्करगण शाखा के सर्वाधिक यशस्वी, श्रेष्ठ साहित्यकार, प्राचीन शीर्ण-जीर्ण ग्रन्थों के उद्धारक थे। यशकीर्ति के निम्न ग्रन्थ उपलब्ध हैं-(१) पाण्डवपुराण ( अपभ्रंश ३४ सन्धियां ), (२) हरिवंशपुराण ( अपभ्रंश १३ सन्धियां), (३) जिणरत्तिकहा एवं (४) रविवयकहा । भट्टारक यशःकीर्ति ने स्वयम्भूकृत अरिट्ठणेमिचरिउ ( अपभ्रंश ) एवं विबुधश्रीधरकृत भविष्यदत्तचरित ( संस्कृत ) का जीर्णोद्धार किया था। यदि उनका ध्यान इस ओर न जाता, तो साहित्य-जगत् से ये दोनों ग्रन्थ लुप्त हो जाते । ग्वालियर के एक मूर्तिलेख के अनुसार इनका कार्यकाल वि० सं० १४८६ से १५१० के मध्य सिद्ध होता है। २८०११-१२ खेमचंद, हरिषेण एवं पाल्ह बम्भ-ये तीनों भट्टारक यशःकीति के शिष्य थे। रइधू के अन्य कई ग्रन्थों में इनके नामों के उल्लेख मिलते हैं । [ विशेष के लिए दे० रइधू साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन, पृ० ७७-७८ ] २८।१३ देवराय-महाकवि रइधू के पितामह । रइधू ने उन्हें संघपति कहा है । इससे विदित होता है कि वे समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से थे । २८॥१३ हरिसिंघ-महाकवि रइधू के पिता। रइधू की प्रशस्तियों के अनुसार हरिसिंह भी संघपति थे। २८।१५ रइधू-वुह-महाकवि रइधू-प्रस्तुत रचना के लेखक । [ विशेष के लिए दे० डॉ० राजाराम जैन द्वारा लिखित रइधू साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन तथा रइधू ग्रन्थावली प्र० भा०] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004003
Book TitleBhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1982
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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