SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १२ ) २. आचार्य गोवर्धन का अपने साधुसंघ सहित कौतुकपुर में आगमन एवं बालक भद्रबाहु से उनका वार्तालाप । २. अपने पिता की अनुमति लेकर बालक भद्रबाहु का आचार्य गोवर्धन के साथ अध्ययनार्थ प्रस्थान । ४. ज्ञान-विज्ञान में निष्णात होकर भद्रबाहु ने घोर तपश्चरण किया तया श्रुतकेवली-पद प्राप्त किया। ५. पाटलिपुर ( वर्तमान पटना ) के राजा नन्द का वर्णन । प्रत्यन्त देश के राजा ( पुरु ?) द्वारा की गयी घेराबन्दो से शकट मन्त्री चिन्तित हो जाता है और नन्द के संकेत से वह राज्यकोष से मुद्राएँ भेंट कर उसे शान्त करता है । १०-११ ६. दुर्भाग्य से राजा नन्द शकट से रुष्ट होकर उसे सपरिवार कारागार में डाल देता है और प्रतिदिन भोजन के रूप में उसे मात्र एक सकोरे भर सत्तू एवं जल प्रदान करता है । ७. प्रत्यन्तवासी शत्रु ( पुरु ? ) के पुनः घेराबन्दी करने पर राजा नन्द शकट की सहायता से उसे पुनः शान्त कर देता है। राजा नन्द प्रसन्न होकर उसे महानस ( राजकीय भोजनशाला) का अध्यक्ष नियुक्त करता है। ८. शकट एवं ब्राह्मण-चाणक्य का परिचय । शकट के अनुरोध पर चाणक्य प्रतिदिन महानस के स्वर्णासन पर बैठकर भोजन करने लगता है। अवसर पाकर शकट उसका आसन बदलकर वंशासन कर देता है। १६-१७ ९. परिवर्तित आसन देखकर चाणक्य राजा नन्द से क्रुद्ध होकर चन्द्रगुप्त के साथ प्रत्यन्तवासी शत्रु राजा ( पुरु ? ) से जा मिलता है और उसकी सहायता से राजा नन्द को समूल नष्ट कर चन्द्रगुप्त को पाटलिपुर का राजा बना देता है । चन्द्रगुप्त की वंश-परम्परा। १८-१९ १०. नकुल ( अशोक का पुत्र ) के पुत्र चन्द्रगुप्त (-सम्प्रति ? ) द्वारा १६ स्वप्न-दर्शन । २०-२१ ११. आचार्य भद्रबाहु द्वारा स्वप्न-फल-कथन । २२-२३ १२. आचार्य भद्रबाहु द्वारा स्वप्न-फल-कथन एवं चन्द्रगुप्त को वैराग्य । २४-२५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004003
Book TitleBhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1982
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy