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भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त कथानक
[ २७ ] Short description of Avasarpiņi and Utsarpini-Kāla.
वीसवरिस-परमाउ सुभासिउ सद्ध-ति-कर-तणु उच्चु पयासि । कालपवेसि एहु णिरु सिट्ठउ हत्थु तणु अंति णिकिट्ठउ । णारय-तिरिय-गइहिँ जिउ आवइ मच्छ-कच्छ-कंदइँ आसायइ। किण्ह-णग्ग-मल-पाव-विलित्ता घर-वावार कुलक्कम चत्ता। 5 लज्ज ण णिवसणु छुह-तिस-तत्तिय दुह-भुंजेस हिँ जण-गय-सत्तिय । तासु अंतु पुणु होसइ जइया पलयकालु पुणु होसइ तइया। वज्जाणिलु जलु जलणु वि रयभरु धूमरि-विस-वण्णिउ पुणु खययरु । सत्त-सत्त-वासरु णिरु वरिसइ पलयकाल-विहि सव्वहँ दरिसइ ।
इय सप्पिणिहुँ पवट्टण पच्छइ उवसप्पिणि होसइ पुणु णिच्छइ। 10 पय-घय-उच्छु-रसे पुणु जलहरु । सत्त-सत्त-दिण वरिसइ सुहयरु ।
बाहत्तरि-जुयलें हरि रक्खइ गिरि विचरहिँ जे ते जि पयक्खइ । णिग्गर्म वि अवर इंति अणेयइँ गर-तिरिक्ख-तिवि-विगय-विवेय। सक्कर-सरिस जि महिय भक्खइँ अणुहुंजहि दुक्खु ण पिक्खई।
वीयउ छ?उ एण विहाणे कालु हवेसइ तासु पमाण। 15 पंचमकालु पुणु वि पइसेसई तासु माणु तसु समु जिणु भास।
घत्ताएक्क सहस सेसम्मि थक्कइँ होसहि कुलयर। पुणु तुरियइँ कालम्मि चउबीस जि तित्थेसरई ॥२७॥
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