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________________ श्रावकधर्मप्रदीप यहाँ आहार शब्द का प्रयोग ग्रहण अर्थ में है ऐसा हम पहिले ही लिख चुके है, अतः आहार शब्द पर शंका न करनी चाहिए। आहार का अर्थ मात्र भोजन यहाँ नहीं है। यदि ऐसा ना जायगा तो ये अतिचार मात्र भोगपरिमाणव्रत के होंगे । उपभोगपरिमाणव्रत में अतिचारों के वर्णन के अभाव का प्रसंग आयगा । २५० सचित्तसम्बन्धाहार और सचित्तमिश्राहार इन दोनों अतिचारों का तात्पर्य स्पष्ट है। सचित्त द्रव्य से अथवा त्यागे हुए अन्य रसादि भोग या किसी उपभोग रूप पदार्थ से सम्बन्धित या उससे मिश्रित पदार्थ का भूल से सेवन करना सचित्तसम्बन्धाहार तथा सचित्तसम्मिश्राहार है। इस प्रकार की व्याख्या द्वितीय, तृतीय अतिचार की करनी चाहिए। भोगरूप हों या उपभोगरूप कामोद्दीपन करानेवाले पदार्थों का सेवन अभिषवाहार है। अतिपक्व, अर्धपक्व, फलादि व अन्नादि का उपयोग करना दुष्पक्वातिचार है। ये पाँच भोगोपभोग परिमाणव्रत के अतिचार तत्त्वार्थसूत्रादि ग्रन्थों के अनुसार त्यागने का संकेत यहाँ आचार्य श्री कुन्थुसागरजी ने किया है। श्री स्वामी समन्तभद्राचार्यजी ने अपने रत्नकरण्ड श्रावकाचार में इन अतिचारों के दूसरे नाम दिए हैं। उनके द्वारा उल्लिखित भोगोपभोग परिमाणव्रत के अतिचार ये हैं १ - भोगोपभोगरूप इन्द्रिय विषयों के प्रति प्रीति - भाव रखना । २ - पूर्व समय में बाल्यावस्था या तरुणाई में किये गये भोगोपभोगों को बार-बार याद करना। ३- नियमित और प्राप्त भोगोपभोगों में अत्यन्त वृद्धि रखना । ४-आगामी काल में मैं ऐसे पदार्थ भोगूँगा । अब अमुक ऋतु आ रही है। उसमें ऐसे-ऐसे पदार्थ प्राप्त होंगे। मुझे उनका त्याग तो है नहीं, खूब भोगूँगा, ऐसी तृष्णा रखना। ५ - विषय त्याग रहते हुए भी और उसे ग्रहण न करते हुए भी यह अनुभव कल्पना से करना कि मैं अमुक पदार्थ का भी भोग या उपभोग कर रहा हूँ। इन अतिचारों के वर्णन से भी स्पष्ट है कि भोगोपभोग व्रत के अतिचार केवल भोजन मात्र से संबंधित नहीं हो सकते, इसलिए सचित्त शब्द को उपलक्षण मानकर ऊपर जैसा हमने दिखलाया है वैसी व्याख्या करना आगमानुसार उचित होगा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004002
Book TitleShravak Dharm Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaganmohanlal Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1997
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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