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सागरमें शिक्षण-शिविर
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बहुत उत्तम रहा।
मेला विघट गया। सब मनुष्य अपने-अपने घर चले गये। हम, ब्रह्मचारी चिदानन्दजी तथा श्री क्षेमसोगजी क्षुल्लक सतपारा, जो कि द्रोणगिरिसे एक मील है, श्री हीरालाल पुजारीके साथ, आये। यह ग्राम अच्छा है। यहीं पर मेरे मामा रहते थे। ग्रामवालोंने बड़े हाव-भावसे रक्खा । द्रोणगिरि पाठशालाके लिये सौ रुपयाके अन्दाज चन्दा हो गया। यहाँसे से छह मील चलकर भगवाँ आये। यहाँपर दो दिवस रहे। ग्राम अच्छा है। तहसील है। यहाँ पर जो तहसीलदार हैं वह बहुत ही योग्य हैं। उन्होंने बड़े प्रभावके साथ पाठशालाका चन्दा करवाया। दो हजार रुपया हो गया। इतनी आशा न थी, परन्तु लोगोंने शक्तिको उलंघ कर दान दिया। इस चन्दाके होनेमें विलम्ब नहीं लगा। यहाँसे चलकर गोरखपुरा आये। यहाँ भी ग्रामीण पाठशालाको एक सौ रुपया के करीब चन्दा हो गया। यहाँसे चलकर घुवारा आये। यह ग्राम बहुत बड़ा है। यहाँपर कई सरोवर हैं। तीस घर जैनियोंके होंगे। पाँच मन्दिर हैं। यहाँपर एक मूर्ति बहुत ही मनोज्ञ है जो एक हजार वर्ष पहलेकी होगी। प्रायः यहाँके सभी जैनी सम्पन्न हैं। सबकी धर्ममें रुचि हैं। श्री महावीर जयन्तीका उत्सव बड़ी धूमधामसे मनाया गया। पाठशालाके लिए अपील की गई। तीन हजार रुपयाके अन्दाज चन्दा हो गया। तीस रुपया मासिकका पण्डित बुलाने की व्यवस्था हुई। यहाँ मनुष्य बहुत विवेकी और साक्षर हैं। स. सिं. पण्डित दामोदरदासजी बहुत सुयोग्य हैं। आपका ज्योतिष विद्यामें भी अच्छा प्रवेश है। यहाँ पर तीन दिन रहे। यहाँसे भोयरा ग्राम आये, पर एक दिन रहे । यहाँ एक महाशयने यहाँ तक भाव दिखाये कि यदि कोई पण्डित महाशय आवे तो मैं उनके भोजनका खर्च और दस रुपया मासिक ,गा। यहाँसे चलकर फिर द्रोणगिरि आगए।
द्रोणगिरिसे धनगुवाँ आये। यह अच्छा ग्राम है। इस ग्रामके ही काव्यतीर्थ, साहित्यशास्त्री पं. लक्ष्मणप्रसाद 'प्रशांत' है। जो कि एक अच्छे प्रतिभाशाली कवि हैं और आजकल सागर विद्यालयमें अध्यापक हैं। यहाँसे चलकर दरगुवाँ आये। एक दिन रहे । एक पाठशाला स्थापित हो गई। यहाँ से चलकर हीरापुर आगये। यहाँ पर दो दिन रहे । पाँचसौ रुपयाका चन्दा पाठशालाको हो गया। ग्राम बहुत अच्छा है। यहाँकी पाठशालाके लिये, श्रीयुत प्रशममूर्ति पतासीबाईजीके प्रयत्नसे गिरीडीह जिला हजारीबाग की स्त्रीसमाजने दस सौ अस्सी रुपया भिजवाये, जिससे चालीस रुपया मासिकका विद्वान् पढ़ानेके लिये आ गया।
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