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वर्षाकाल गया में सानन्द बीता। यहाँ से मैने कार्तिक वदी दोज की लोगो से सम्मति लेकर श्री वीरप्रभु की निर्वाणभूमि के लिये प्रस्थान किया। (पृष्ठ ३५२)
जबलपुर गुरुकुल (पृष्ठ ३८५)
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