________________
पाठशालाकी सहायताके लिए
133
दो दिन ठहर कर हम दोनों तत्त्वचर्चा करते हुए सागरके लिए रवाना हो गये।
वहाँसे चलकर दलपतपुर आये। रात्रिको मन्दिर गये। यहाँ पर मन्दिरमें अच्छी जनता उपस्थित हो गई। मैंने शास्त्रप्रवचन किया। पश्चात् पाठशालाके लिए अनाजकी प्रार्थना की तो बीस बोरा अर्थात् पचास मन गेहूँ हो गया। वहाँ पर सिंघई जवाहरलाल बहुत ही प्रतापी आदमी थे तथा भूरेलालजी शाह भी धनाढ्य व्यक्ति थे। आपने बड़े स्नेहसे रक्खा । यहाँसे चलकर बण्डा आये। पचास घर जैनियोंके हैं जो प्रायः सभी सम्पन्न हैं। यहीं पर श्री वर्णी दौलतरामजीके सत्प्रयत्नसे बोर्डिंग और पाठशालाकी इस देशमें सर्वप्रथम स्थापना हुई थी। यहाँसे भी पाठशालाको पर्याप्त सहायता मिली। यहाँसे चलकर हम लोग कर्रापुर आये। यहाँ भूरे डेवड़िया बहुत ही सज्जन व्यक्ति थे। उन्होंने भी पाठशालाको अच्छी सहायता दी। आप एक धार्मिक व्यक्ति थे। आपके समाधिमरणकी चर्चा सुनकर आप लोगोंकी श्रद्धा धर्ममें दृढ़ हो जावेगी।
जिस दिन आपका समाधिमरण था, उस दिन कर्रापुरका बाजार था। आपने दिनभर बाजार किया। शामको आपके पुत्रने कहा-'पिताजी ! अन्थऊ कर लीजिये। आपने कहा-'आज कुछ इच्छा नहीं।' बालकने कहा-'अब तो बिल्कुल शाम हो गई, अतः घर चलिये।' उन्होंने कहा-'आज यहीं शयन करेंगे।' बेटाने कहा-'अच्छा। पुत्र घर चला गया और आप दुकानमें ही एक कोठरी थी, जिसमें सदा स्वाध्याय और सामायिक किया करते थे, रात्रि होते ही उसीमें चले गये और सामायिक करने लगे। सामायिकके बाद आपने कोठरीके किवाड़ बन्द कर लिये। इसी बीच पुत्रने आकर कहा-'पिताजी किवाड़ खोलिये, नाई पैर दाबने आया है। आप बोले-'बेटा आज पैर नहीं दबावेंगे' प्रातःकाल देखा जावेगा। लड़का चला गया। उसे कुछ पता नहीं कि आप सो गये या स्वाध्याय करते हैं या क्या करते हैं ? किन्तु जब प्रातःकाल हुआ और पिताजीकी कोठरी नहीं खुली तब वह बड़े जोरसे बोलने लगा'पिताजी ! किवाड़ खोलो, पूजनका समय हो गया। पिताजी हों तब तो खोलें। वह तो न जाने कब स्वर्गवासको चले गये। जब किसी तरह किवाड़ खोले गये तब लड़का क्या देखता है कि पिताजी दिगम्बर वेषमें भीतके सहारे पदमासनसे टिके बैठे हुए हैं, उनका शरीर निश्चेष्ट है, सामने एक चौकी पड़ी है, उसपर एक शास्त्र विराजमान है, पास ही एक समाई रक्खी है, चौकी पर एक कागज रक्खा है और उसीके पास २००) रक्खे हैं |
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org