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शब्दानुक्रमणिका
३५७ सक्ति- शक्ति (जीवचतु. २९।२) सम्रद्धि- समृद्धि (वीत. ६।२) सतसंग- सत्संग (बुद्धि. ४।२) सरकरा- शक्कर (स्वजोग. १।२) सदके- न्यौछावर (चक्र. १) सरगंथी- ग्रंथसहित, गाँठसहित (जिनांत. सधान- श्रद्धान (राग. १४।३)
२४।२) सन्यास- संन्यास (मारीच. २२१७) सरदहत- श्रद्धायुक्त होकर (पद. ७।९) सनमान- सन्मान (धर्म. १३।२) सरदैहै- श्रद्धा रखता है (बुद्धि. ४०।४) सनउ- सनद (प्रमाणित करना) (विवेक. सरधा- श्रद्धा (दसधा. ९।३)
अन्तिम पंक्ति) सरधान- श्रद्धान (दसधा. ३११) सप्तधातु- सात-धातु (तीनमूढ़ ३१।१) सरधापंथ- श्रद्धापंथ (बुद्धि. ३।४) सपर्स- स्पर्श (वीत. १३।१). सरधावंत- श्रद्धावंत (जिनांत. २७।१) सपिंड- पिण्ड सहित (पुकार. १२।३) सरपुर- श्रीपुर नगर (शान्ति. जयमाल. सम्यक्-महल- सम्यक्त्व महल (तीनमूढ.
. ३५।१) सरवंग- सर्वांग (पद. ३।२) समकित- सम्यक्त्व (जिनांत. २७।२) सरवग्य- सर्वज्ञ (वीत. २५।२) समकिती- सम्यक्त्व पालनकरने वाला सरवसु- सर्वस्व (स्वजोग. ३।२)
(दरसन. २२।४) सरसुति- सरस्वती (धर्म. १११) समतारस- समतारस (मारीच. २२॥३) सराउग- श्रावक (दरसन. २८।४) समधेला- समधी (उपदेश. १६।१) । सरिता- नदी (पुकार. १३।२) समना- मन सहित (जीवचतु. २३।१) सरीके-सदृश, समान (दसधा. ८।१) समर्प- समर्पित (चक्र. १९।१) सरोज- कमल (बुद्धि. ४०११) समर-कामदेव (बुद्धि. २०१२) सर्कर- शर्करा नामका नरक (पुकार. समरते- स्मरण करते समय (वीत.
१२।१) . २२१३) सर्की- सरकना (तीनमूढ़. २३।२) समरथ - समर्थ (चक्र. २५।१) सर्द-श्रद्धा(परमा. २९।२; दरसन.२०११) समरस- समताधारी (पंच. १४।३) सर्दहै- श्रद्धा करते हैं (परमा. २९।२) समरसवंत- समतारस से पूर्ण (मारीच. सर्वङ्ग- सर्वाङ्ग (शीलांग. १३।१)
४) सल्लेखना- सल्लेखना (धर्म. २३।१) समरसी-समता रस वाला(दसधा. ११११) सलाम-(अ.) प्रणाम (द्वादश. १७१२) समिक- श्रमिक, श्रमकरने वाला (बद्धि. सलिल- जल (पद. ३।४)
४३१६) सलौ- सजा हुआ, (मल्लि. ८) समिता- समता (पद. ३।४)
सलौनी- लावण्य युक्त (वीत. ४।२) समीर- वायु, पवन (जीवचत. २७।२) सवायो- सवाया (पद. ८1८) समोइ- मिला देना (वीत. ४।३) सहकारी- सहयोग देने वाली (दरसन.
२३।२)
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