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शब्दानुक्रमणिका
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मूर- मूल; आधार (जोग. १३।२) रसी- रसिक (सप्त. ४।२) मूरतीक- मूर्तिक (वीत. २१।२) रहस- रहस्य (पद. २४। ) मूरि- मूलधन (बुद्धि. २३।६) रहिबू- रहना (बुद्धि. १४।२) मूसि- लूटना; चोरी करना (सप्त. ७।१) राइयराइ- राजाओं के राजा (पुकार. मृतुका- मिट्टी का बना (बुद्धि. ४१।२)
१९११) मृगु- मृग; हिरन (बुद्धि. ४१।२) राजमती- राजमती राजकुमारी (जोग. मेर- सुमेरू पर्वत (पुकार. ६।३)
२।१) मैन– कामदेव (विवेक. १०।१) रामा- रामा नामकी रानी (पुष्प. ४५) मोख- मोक्ष (बुद्धि. २४।१) रितु- ऋतु (पद. २८१५ ) मोजा- मोजा (पंचवरन. ११२) रिनु- ऋण (राग. १४। ) मोर- मोर पक्षी (पद. १८।१०) । रिषिभि- ऋषभ देव (मारीच. ११।१) प्रजादा- मर्यादा (तीनमूढ़ २०।१; सप्त. रीन्हौं- रीझना (राग. २।२)
४।१) रीष- ईर्ष्या, क्षति का भाव (जन्म. १७) म्रत- मृत (धर्म. ६।१)
रुची- रुचिकर (धर्म. २०११) रंकु- गरीब (पुकार. १९।२) रुद्रभाव- क्रोध भाव (धर्म. १७।१) रंगति- रंगीन; रंग से भरा (पकार. रेवती-रेवती नक्षत्र (अनन्त. ३७)
२४।१) रोहिणी-रोहिणी नक्षत्र (अरह. ४९) रंजे- शोभित (अनन्त. ५)
लगार--सम्बन्ध (पद.१४।३) रक्ष्या- रक्षा करना (पंच. १९।५) लचिये-झुकना; वशीभूत (राग. १४।८) रगरो- रगड़ना (राग. ८१५) लछन-लक्षण (दरसन. २९।४) रछ– रक्षा (पंच. १६।४)
लछ- लक्ष्मी, कमल (बुद्धि. २९।२) रछक- रक्षक (पंच. ८।१)
लछहर- लक्षणधर (पंच. २३।१४) रक्षपली- रक्षा करना: आच्छादित करना लज्या- लज्जा (दरसन. १३।१)
(पंचवरन. ३।२) लटा-लिपटा हुआ (बुद्धि. ४९।४) रझेउ- रिझाना (पद. १६।५) लटी- ठगने वाली, दुष्टा (राग. ९।१) रढावनी- रटनेवाली (बुद्धि. ४८।३) लठ- लट्ठ; डंडा (बुद्धि. ३८।३) रत्त- अनुरक्त (पंच. २५।३)
लरम- नर्म (बुद्धि. १४।५) रत्ननामापुरी- रत्ननामापुरी नगर (धर्मनाथ. लहलात- लहलहाती (सुपार्श्व. २३)
५०) लांजी-लांजी नामका चाँवल(श्रेयांस.८) रस-आनन्द; स्वाद (पुकार. २४।१) लामी- लम्बी (बुद्धि ३९।२) रसना- जीभ (पंच. ४।६)
लायची- इलायची (वासु. ३३) रसमा- आनन्द से भरे हुए (बुद्धि. ९।२) लीक- परिपाटी (पद. २९।३) रसिया- रसिक (जोग. ९।३) लीकल- गीत (हितो. ८१२)
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