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शब्दानुक्रमणिका
३३९ इंदनील- इन्द्रनील (कमल) (वीत. ७।२) उदास- खिन्न; दुखी (स्वजोग. १०।१) इक- एक (वीत. ४।३)
उदी.- दीनता रहित; प्रमुदित होकर (राग. इकठे- इकट्ठ; (बुद्धि. ५४।२)
१८।६) इच्छवाकु- इक्ष्वाकु (वंश) (आदि. ६७) उदीरना- अपक्ककर्मपाचन की प्रक्रिया इतरनिगोद- इतरनिगोद (पुकार. ७।२)
(जीवचतु. २९।१) इंद्रदत्त— इन्द्रदत्त (राजा) (अभि. ५०) उदै- उदय (पुकार. ८।३) इमरता- इमरता नाम का नीबू (श्रेयांस. उदौ- उदय (संभव. २७)
२९) उद्यमशीलता- द्वादश ३९।१ इलाज-उपचार (राग. ९८) उन्हार- समता; बराबरी, तुलना, उपमा ईठौ- इष्ट; अच्छा (पद. २००४)
___(पुकार. १२।१) उऔ- उदय (बुद्धि. ४०।२) उनहार- समानता (पुष्प. १०) उकत-उक्ति (राग. १०१५)
उपराज- उपज; उत्पादन(पुकार. २५।२) उखटी- उखड़ी हुई (राग. ९।१०) उपसमुद्र- पार्श्ववर्ती खण्डित समुद्र (चक्रि. उखलेद- खोलकर; उखाड़कर; (बुद्धि
१५।१) उपादि-स्वीकार करने योग्य (पंच. ८।४) उच्चरन- उच्चारण (पंच. १९।३) उपादेय-ग्रहण करने योग्य (राग. ४।६) उचाट-विरक्त, उदास, अनमना (दरसन. उभेदना- बार-बार नष्ट करना (वीत.
६।१)
१३।२)
२।२)
उछीन्ही- उच्छिन्न करना; नष्ट करना (राग. उभेद-उम्मीद; आशा (अनन्त. १३)
२।६) उरग- सर्प (पार्श्व. १) उडेलनी- उड़ेलने वाली (बुद्धि. ४८।२) उरह- हृदय में (पंच. २।३) उत-उधर; उस ओर (तीनमूढ़. १७।२) उलखै- लक्ष्य-पूर्वक देखना(हितो. १०१२) उतंग-ऊँचा; श्रेष्ठ (पंचवरन. ३११) उलीच-उलीचना; उछालना (पद. ३।४) उतकिष्ट- उत्कृष्ट, श्रेष्ठ; उत्तम (दरसन. उवझाई- उपाध्याय (पंच. १।३) ।
३३।२) उवीठौ- अरुचिकर, मन तृप्त हो जाना उतपण्य-उत्पन्न (वीत. ५।३)
(पद. २०६९) उतपति- उत्पत्ति; सृष्टि (पद. १४।७) उसीला-बिस्तर का ऊपरी भाग; तकिया उतसाह- उत्साह (पंच. ४।८)
(राग. ५।३) उदगर- हृदय की बात व्यक्ति करना (पद. ऊँकार- ओंकार मन्त्र (मारीच. ५।७)
२५।४) ऊगौ- उदित हुआ (राग. ७।२) उदगरन- हृदय की बात व्यक्त करना ऊजरपुर-उज्जवलपुर (नगर) (राग. (दरसन. १७।१)
___ १७।१०) उदधि- समुद्र (पंच. ५।१) ऊजरै- उज्ज्व ल (जूववरा.)
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