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देवीदास-विलास
(१) समरसता (२) सच्चरित्रता (३) शान्तभाव द्वारा हृदय परिवर्तन
(४) मितव्ययता ६. कृतित्व (उपलब्ध रचनाएँ) (क) देवीदास-विलास : नामकरण की समस्या तथा वर्गीकृत
रचनाओं का परिचय (ख) प्रवचनसार (ग) चिद्विलास-वचनिका (घ) चौबीसी पाठ आदि तथा (ङ) (१/१) परमानन्द स्तोत्र, (१/२) जिनस्तुति,
(१/३) जिननामावली, (१४) चतुर्विंशतिजिनवन्दना, (२/१) पंचवरन के कवित्त [ लाल, काला, श्वेत, पीला एवं हरा-रंग], (२/२)३० सप्तव्यसन, (२/३) दसधा सम्यक्त्व, (२/४) द्वादसानुभावना, (२/५) शीलांग चतुर्दशी, (२/६) धरम-पच्चीसी, (२/७) पंचपद-पच्चीसी, (२/८) पुकार-पच्चीसी, (२/९) वीतराग-पच्चीसी, (२/१०) उपदेश-पच्चीसी, (२/११) जोग-पच्चीसी, (२/१२) जीवचर्तुर्भेदादि बत्तीसी, (२/१३) विवेक बत्तीसी, (२/१४) दर्शन छत्तीसी, (२/१५) तीन-मूढ़ता अरतीसी, (२/१६) बुद्धिबाउनी, (३/१) जिनांतराउली, (३/२) मारीच भवान्तराउली, (३/३) लछनाउली पथ, (तीर्थंकर नाम एवं उनके लाञ्छन।) (३/४) चक्रवर्ती विभूति-वर्णन |चक्रवर्ती की नौ निधियाँ. चौदहरत्न तथा १७ प्रकार के वैभव का संक्षिप्त वर्णन] (४.क) राग रागनियाँ, (४.ख) पदपंगति खण्ड, (५.) चित्रबन्ध रचनाएँ (६/१) हितोपदेश (६/२) स्वजोग राछरौ (७/१) जन्म के दस अतिशय, (७/२) केवलज्ञान के दस अतिशय (७/३) देवकृत १४ अतिशय
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